आज दीपावाली है। दीपावली का पर्व अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का दिवस है, जो दीपोत्सव के रूप में पूरे वातावरण को जगमग करता है। दीप मालिका हमारे जीवन के प्रत्येक पक्ष में उजाला भरने का संदेश देती है। इसकी रोशनी समाज के निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति के दरवाजे पर पहुंचे बिना हम दीप मालिका के संदेश को यथार्थ में परिवर्तित नहीं कर सकते। इस उत्सव का धार्मिक पक्ष हिन्दू संस्कृति में बेशक भगवान राम के लंका विजय के बाद अयोध्या के राज सिंहासन पर पदासीन होने की खुशी में उल्लिखत हो, किन्तु देश की मिली-जुली संयुक्त संस्कृति में सम्पूर्ण समाज की खुशियों का वाहक है। भारत के प्रत्येक सम्प्रदाय के लोग स्वयं को इससे जुड़ा पाते हैं, जिसमें हिन्दुओं के पर्वों की प्रतीक्षा मुस्लिम भाई बेताबी से करते हैं। लोक संस्कृति के कलात्मक पक्ष को सजाने और आकर्षक बनाने का कार्य सदियों से मुस्लिम फनकार और कलाकार करते आ रहे हैं। बच्चों के खेल-खिलौने व स्त्रियों के साज-श्रृंगार के सामान, दीपावली की सजावट के लिए विविध वस्तुओं के निर्माण तथा उत्पादन मुस्लिम समाज के लोगों की सहभागिता ही पर्व को दीपमय बनाती है। दीपावली का सबसे बड़ा संदेश भारत की विविधता का वह उजाला सर्वत्र फैलाने का है, जिससे सम्पूर्ण भारत में भाईचारा और सौहार्द सदा बना रहे।