Sunday, May 18, 2025

अनमोल वचन

संसार में कोई भी व्यक्ति दुख को पसंद नहीं करता, किन्तु दुख फिर भी आते हैं। जिनके निमित्त से हमें दुख प्राप्त हुआ उसी को ही दुख का कारण मान लेते हैं और उसके प्रति दुर्भावना पैदा कर लेते हैं, किन्तु सच यह है कि जो दुख और सुख हमें प्राप्त हो रहा है, उसका कारण हम स्वयं हैं, हमारे पूर्व में किये गये कर्म हैं।

 

 

 

अपने पूर्व जन्मों में हम भी किसी के दुख का कारण बने होंगे, किसी को दुख पहुंचाया होगा। दूसरा कारण हमारे क्रियमाण कर्म हैं, जिनका फल प्राय: साथ-साथ अथवा मनुष्य को इसी जन्म में भोगना पड़ता है, जैसे हमने अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया, हम रोगी हो गये। राजकीय सेवा में कोई नियम विरूद्ध कार्य किया, हम निलम्बित हो गये।

 

 

 

तीसरा महत्वपूर्ण कारण यह भी है ईश्वर को जब किसी प्राणी पर दया करके उसे अपनी शरण में लेना होता है, कल्याण के पथ पर ले जाना होता है, उसे भव बंधनों से, कुप्रवृत्तियों से छड़ाने के लिए ऐसे दुखदायक अवसर उत्पन्न करते हैं, जिनकी ठोकर खाकर मनुष्य अपनी भूल को समझ जाये और उसका सच्चा भक्त बन जाये।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

87,026FansLike
5,553FollowersFollow
153,919SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय