Wednesday, April 2, 2025

अनमोल वचन

छल-कपट ही नरक के द्वार हैं। मन की निर्मलता हमें स्वर्ग का रास्ता दिखाती है। आन्तरिक निर्मलता के बिना बाहरी सुन्दरता मूल्यहीन है। सुन्दरता हमारे अच्छे स्वभाव में ही है। दया सहिष्णुता, सहयोग, परोपकार, करूणा और प्रेम हमारी आत्मा को निर्मल बनाते हैं। हमारा अच्छा व्यवहार ही प्रशसंनीय और अनुकरणीय होता है।

 

 

 

निर्मल मन के व्यक्ति को बाहरी सज्जा का कोई महत्व नहीं रहता। पूजा, पाठ, ध्यान, सदाचार, सात्विकता तथा सकारात्मक चिंतन से मन को शान्ति की प्राप्ति होती है, आत्म बल में वृद्धि होती है, जबकि मन की रूग्णता से तन का तेज भी नष्ट हो जाता है।

 

 

अन्त:करण में सदैव सुन्दर-कोमल और सतोगुणी भाव ही रखने चाहिए, तभी हम प्रसन्न मन से प्रभु के समीप जा सकते हैं। यदि जीवन में सांझ होने से पहले हम अपनी चेतना को जागृत कर लें और मन को निर्मल बना लें, तभी जीवन सफल माना जायेगा अन्यथा अनन्तकाल तक नाना योनियों में यूं ही भटकते रहना होगा।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

75,563FansLike
5,519FollowersFollow
148,141SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय