हे मानव यह सर्वश्रेष्ठ योनि पाकर इस जीवन का सदुपयोग कर, इसे पाप कर्मों से नष्ट न कर। धर्म कार्यों और प्रभु स्मरण को किसी अवस्था विशेष पर न टालो। इन शुभ कार्यों के लिए आज की अवस्था ही सर्वोत्तम है। हम आज हैं कल की क्या कह सकते हैं, क्योंकि परमात्मा ने हमें इस जीवन के लिए गिनती के श्वास दिये हैं, पल-पल ये घटते जा रहे हैं और हम मृत्यु की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
श्वास जो हमें इस जीवन के लिए मिले हैं वे अनमोल हैं। वे किसी बाजार में पैसे से नहीं खरीदे जा सकते, क्योंकि पैसे से भौतिक पदार्थ मिल सकते हैं, परन्तु कितना भी धन खर्च करना चाहो श्वास नहीं मिलेंगे, पैसे को खर्च करोगे तो खर्च होगा अन्यथा ज्यौं का त्यौं जेब में, तिजोरी में या बैंक में पड़ा सड़ेगा, किन्तु श्वास रूपी धन आपके न चाहते हुए भी शरीर रूपी तिजोरी से प्रतिक्षण खर्च होता ही रहता है।
धन तो आज खर्च करके कल लाखों भी प्राप्त किया जा सकता है, किन्तु खर्च किये हुए श्वास किसी भी कीमत पर वापिस नहीं आ सकते। पैसे की सुरक्षा पुलिस कर सकती है, किन्तु श्वासों की रक्षा कोई नहीं कर सकता। पैसे समाप्त हो जाये तो कोई हितैषी उधार दे सकता है, किन्तु श्वास समाप्त हो जाये तो कोई देने वाला नहीं है। इसलिए वर्तमान के शेष श्वासों का सदुपयोग करो।