रामलला अयोध्या पधार चुके हैं। गर्भगृह में उनकी मूर्ति स्थापित हो चुकी है और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण अब उद्घाटन के स्तर तक पहुंच चुका है। भले ही मंदिर को राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी देखा जा रहा है और पक्ष तथा विपक्ष अपने-अपने तर्क वितर्क दे रहे हैं लेकिन राम के प्रति जनगण के मन में अटूट आस्था प्राचीन और शंका से परे है और यही आस्था सबसे कहलवाती है ‘राम नाम जगत? आधारा, जो सुमिरे सोई उतरहि पारा’।
कई बार प्रश्न उठते हैं कि राम कौन हैं? कहां रहते हैं, निराकार हैं या साकार? तर्क और नास्तिकता के युग में राम व उनके जन्मोत्सव पर सवाल खड़े होने के बावजूद राम और सनातन संस्कृति एक दूसरे के पूरक हैं। आस्थावान राम भक्तों के लिए राम एक, विश्वास हैं। राम में उन्हे भगवान व मर्यादाओं के पुनस्र्थापक व विष्णु के अवतार प्रतिलक्षित होते हैं।
पद, प्रभुता देवनहारे
त्रेता में पैदा हुए राम के नाम पर आस्था के मेले लगाना और उनके नाम पर मंदिर बनाने के आश्वासन से ही जनमत पा लेना भारत जैसे अद्भुत देश में ही संभव है। अब मानें या ना मानें पर यह धरातलीय सच है कि राम आज भी सत्ता व प्रभुता देने वाले एक बड़े कारक हैं।
दुष्टहंता तारनहारे
मर्यादा पुरुषोत्तम राम दुष्टहंता, शोषितों पीडि़तो के रक्षक, नारी का सम्मान बचाने वाले सनातनी नायक हैं। अपनी प्रजा के भावों को समझने व उन्हे महत्ता देने वाले शासक हैं। बेशक राम में कुछ तो ऐसा है कि वे कालपार होते। विवादों में रहकर भी पूज्य बने रहते हैं।
कब जन्मे राम?
भले ही दशरथ पुत्र राम के जन्म व उनके काल निर्धारण पर विद्वान एकमत न हों, राम के अस्तित्व पर उंगलियां उठाते हों पर सुखसागर जैसे ग्रंथों में राम का जन्म त्रेता में होना माना गया हैं , जिसके अनुसार कलियुग की अवधि 4,32,000 वर्ष है जो कि सबसे छोटा युग है , द्वापर उससे दोगुना व त्रेता उससे भी दोगुना होना मानते हैं इस तरह राम आज से 12 से 14 लाख वर्ष पूर्व हुए। एक अन्य विद्वान तो राम की जन्म तिथि 5414 ईसा पूर्व यानि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को ठहराते है।
आदर्शवादी, गुणधाम राम
आज भी राम का नाम भारतीय संस्कृति, सभ्यता, संस्कारों के मूल्यों का प्रतीक है। राम की छवि आज भी एक आदर्श पुत्र, पति, भाई व शासक की है और इसी से प्रेरित हो आम आदमी ने रामराज के सपने पाल रखे हैं।
-डॉ0 घनश्याम बादल