करनाल। हरियाणा के करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान में बुधवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्राकृतिक कृषि प्रयोगशाला का शिलान्यास किया। इस दौरान भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने अपने स्टॉल लगाए थे। प्रदर्शनी में हिस्सा लेने पंहुचीं हरियाणा के तमाम जिलों की महिलाएं सरकार के सहयोग से अपना खुद का काम कर रही हैं और आमदनी बढ़ा रही है। ये महिलाएं अब ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं यानी उनकी सालाना आय एक लाख रुपये से अधिक हो चुकी है। अलग-अलग काम करके इन्हें एक आत्मविश्वास मिला और अपना गुजारा अब ये खुद करती हैं। साथ ही साथ अपने परिवार का भी पालन-पोषण करती हैं। इन महिलाओं के अपने अपने गांव में अलग-अलग समूह चलते हैं। कोई महिला बैग बना रही है तो कोई सिलाई का काम कर रही है।
कुछ महिलाएं बिना केमिकल के अचार, मुरब्बा, चटनी बना रही हैं और अलग-अलग माध्यमों से बेचकर पैसे कमा रही हैं। कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जो मिट्टी के बर्तन बनाती हैं और उसे बेचकर पैसे कमा रही हैं। स्वयं सहायता समूह के जरिए महिलाओं ने जो काम शुरू किया वह आज एक नई बुलंदियों पर पहुंच गया है। वे अपनी आय में वृद्धि करने के साथ ‘लखपति दीदी’ की श्रेणी में पहुंच रही हैं। ‘लखपति दीदी’ बलबीरो ने कहा कि हम समूह से जुड़ी हुई हैं। हम बैग बनाने और सिलाई करने का काम करते हैं। हमारे समूह में 400 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। हमारा समूह अंबाला जिले में है। मेरे समूह का नाम ‘उपकार’ है। हमारे समूह की दस महिला यहां आई हुई हैं। एक महिला ने कहा कि वह मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करती है। हमारी तरफ से कप, प्लेट, कटोरियां बनाई जाती है।
हम नूंह जिले की रहने वाली हैं। मेरा नाम सावित्री है और हमारे समूह का नाम ‘चांद’ है। हम 12 महिलाएं मिट्टी का बर्तन बनाने का काम करती हैं। हमें सरकार से सहायता मिली है और हम लोगों की आय में वृद्धि हुई है। एक और महिला उषा ने कहा कि उनके स्वयं सहायता समूह का नाम ‘सरस्वती’ है। मैं कुरुक्षेत्र जिले के रहने वाली हूं। मेरा समूह अचार, मुरब्बा, चटनी बनाने का काम करता है। हम बिना केमिकल के अचार बनाते हैं। एक ग्रुप में 10 महिला होती है और हम 32 ग्रुप चलाते हैं। हमारे साथ हमारी समूह की महिलाओं की आय में भी बढ़ोत्तरी हुई है।