गाजियाबाद। गाजियाबाद में पहली महिला बाइक मिस्त्री पूनम की दुकान में मंगलवार देर रात आग लग गई। घटना में सब कुछ जलकर राख हो गया। सूचना पाकर दुकान पर पूनम पहुंची, तो सिर्फ राख बची थी। बाइक रिपेयरिंग करने वाले सारे औजार गायब थे। अब यहां सवाल ये है कि आग लगी या फिर लगाई गई? पति को लकवा मारने के बाद शुरू हुए इस छोटे से धंधे के खत्म होने के बाद पूनम पूरी तरह सड़क पर आ गई है। हालांकि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने मदद करनी शुरू कर दी है।
शहर में जीटी रोड पर पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस के पास एक ठेला खड़ा रहता है। ये ठेला बाइक की छोटी सी दुकान है जिसे पूनम चलाती है।
पूनम गाजियाबाद की इकलौती महिला है, जो बाइक मिस्त्री का काम करती है।
मंगलवार देर रात इस दुकान में संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गई। जब तक दमकल गाड़ी पहुंची, तब तक सारा सामान जलकर राख हो चुका था।
बुधवार सुबह पूनम ने सामान खोजना शुरू किया तो उसको एक भी औजार नहीं मिला। अब वो ये मान रही है कि किसी ने सामान चुराने के बाद उनकी दुकान में जान बूझकर आग लगाई है। फिलहाल इस मामले में पुलिस में कोई शिकायत नहीं की गई है।
पूनम ने कहा, मेरा यहां पर सामान नहीं मिला। मुझे लगता है कि किसी ने पहले सामान चुराया, फिर ठेली में आग लगाई है। हमारी तो किसी से दुश्मनी भी नहीं थी। पता नहीं हमारे साथ क्या हो रहा है। हमें तो सुबह किसी ने फोन करके ठेली जलने के बारे में बताया।
फतेहपुर की रहने वाले राजेश वर्तमान में गाजियाबाद के पटेलनगर में किराए के मकान में रहते हैं। राजेश एक निजी कंपनी में मोटर मैकेनिक थे। कोरोना लॉकडाउन में राजेश की नौकरी चली गई। इसके बाद राजेश ने बाइक मिस्त्री की छोटी सी दुकान खोल ली। दुकान का काम धंधा धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था कि राजेश को पैरालिसिस अटैक पड़ गया। पत्नी पूनम उन्हें प्रयागराज लेकर चली गई। वहां इलाज कराया और जितना भी पैसा इकट्ठा था, वो सब खर्च हो गया।
पति के लकवाग्रस्त होने पर पूनम ने बाइक मिस्त्री का काम संभाल लिया। राजेश ने जैसे-तैसे पूनम को ये काम सिखाया और फिर पूनम ने ये काम आगे बढ़ाया। देखते ही देखते पूनम की दोनों बेटियां स्कूल भी जाने लगीं और घर का खर्चा भी निकलने लगा। पूनम बच्चियों को स्कूल भेजने के बाद सुबह 9 बजे दुकान खोल लेती हैं और रात के 9 बजे तक जीतोड़ मेहनत करती हैं। किस्मत ने एक बार फिर पूनम का साथ नहीं दिया और उन्हें फिर से सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया।