नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विश्व हाथी दिवस’ पर देशवासियों को हाथियों की सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “विश्व हाथी दिवस हाथियों की सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयासों की व्यापक श्रृंखला की सराहना करने का एक अवसर है।”
प्रधानमंत्री ने साथ ही देश में बढ़ रही हाथियों की संख्या को चिन्हित करते हुए हाथियों के देश में रहने के लिए सुरक्षित माहौल पर अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं कि हाथियों को एक अनुकूल आवास मिले जहां वे पनप सकें।” इसके अलावा उन्होंने हाथियों को देश के संस्कृति से जुड़ा हुआ बताते हुए कहा, “भारत में हमारे लिए हाथी हमारी संस्कृति और इतिहास से भी जुड़ा हुआ है।
और यह ख़ुशी की बात है कि पिछले कुछ वर्षों में, उनकी संख्या बढ़ रही है।” बता दें, भारत में दुनिया भर के 60 फीसदी से ज्यादा हाथी पाए जाते हैं। दुनिया में हाथियों की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं, उनमें से अफ्रीका में दो और एशिया में एक है। भारत के सबसे बड़े स्थलीय स्तनपायी होने का तमगा एशियाई हाथी (एलीफस मैक्सिमम) को प्राप्त है। ‘मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट’ चेंज के अनुसार भारत में दुनिया के 60% से ज़्यादा जंगली हाथी रहते हैं।
भारत में, एशियाई हाथी मुख्य रूप से दक्षिणी और उत्तरी-पूर्वी भारत, पूर्व-मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इन विशालकाय जीवों को भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित किया गया है। हाथियों से जुड़ी प्राथमिक आवश्यकताओं से चिंतित, भारत सरकार ने 1991-92 में, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’ की शुरुआत की थी।