लखनऊ। योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश में शत्रु संपत्तियों का उपयोग करते हुए उन पर गायों के लिए घर (गौशालाएं) बनाने की योजना का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से शत्रु संपत्तियों की जानकारी मांगी है। शत्रु संपत्तियां वे संपत्तियां होती हैं जो विभाजन के बाद पाकिस्तान या चीन चले गए लोगों की हैं और जिन्हें सरकार ने अधिग्रहित कर लिया है।
योगी सरकार का यह कदम गौ-रक्षा और संरक्षण की दिशा में एक और पहल के रूप में देखा जा रहा है। सरकार इन संपत्तियों का उपयोग गायों के आश्रय के लिए करना चाहती है, ताकि उन्हें सड़कों पर छोड़ने के बजाय सुरक्षित स्थानों पर रखा जा सके। इस योजना के तहत गौशालाओं का निर्माण शत्रु संपत्तियों पर किया जाएगा और उनका प्रबंधन सरकार द्वारा किया जाएगा।
योगी सरकार की इस योजना के तहत केंद्र सरकार यूपी में शत्रु संपत्तियों की जमीन मुहैया कराएगी, जबकि प्रदेश सरकार उन पर जरूरी सुविधाओं का विकास करेगी। इसका मुख्य उद्देश्य बेसहारा पशुओं, विशेषकर गायों के लिए आश्रय और देखभाल की सुविधा प्रदान करना है। देश में सबसे ज्यादा शत्रु संपत्तियां उत्तर प्रदेश में ही स्थित हैं, जिनकी संख्या लगभग 6017 है। अब इन संपत्तियों पर पशुओं के लिए घर बनाने की तैयारी की जा रही है, जहां उनकी देखभाल, आश्रय और चारे की समुचित व्यवस्था की जाएगी।
यह योजना राज्य में आवारा पशुओं की समस्या को हल करने के साथ-साथ गौ-रक्षा के उद्देश्यों को भी पूरा करेगी। इसके तहत इन गौशालाओं में पशुओं के स्वास्थ्य की देखरेख, चारा, पानी और अन्य जरूरी व्यवस्थाएं की जाएंगी, ताकि गायों को सड़कों पर छोड़ने की समस्या को खत्म किया जा सके।
यूपी में गायों को शत्रु संपत्ति पर मिलेगा आश्रय
उत्तर प्रदेश में गो आश्रय स्थलों की संख्या 7624 है, जिसमें 12 लाख से अधिक गोवंश हैं। इस संख्या को देखते हुए हरे चारे की कमी और गोशालाओं की संख्या में कमी की समस्या उत्पन्न हो रही है। इसके परिणामस्वरूप, अक्सर गोवंश सड़कों पर घूमते नजर आते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार नए स्थानों की तलाश कर रही है, जहां हरे चारे का उत्पादन किया जा सके और कृत्रिम गर्भाधान एवं शोध केंद्र भी स्थापित किए जा सकें।
इस दिशा में, प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से लखनऊ, सीतापुर और अन्य जिलों में शत्रु संपत्तियों को हासिल करने के लिए संपर्क किया है। यहां देसी गायों के संरक्षण और संवर्धन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि अधिकांश शत्रु संपत्तियां मुसलमानों की हैं, इसलिए मुसलमानों का एक बड़ा तबका इस फैसले का विरोध कर सकता है।
शत्रु संपत्तियों का मुद्दा आजादी के बाद के समय से जुड़ा है, जब विभाजन के दौरान कई लोग अपनी संपत्तियां छोड़कर पाकिस्तान चले गए। 1965 में पाकिस्तान से हुए युद्ध के बाद, 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम पारित किया गया, जिसके तहत उन लोगों की अचल संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया, जिन्होंने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली थी। इस अधिनियम के अनुसार, ऐसी संपत्तियों पर भारत सरकार का अधिकार है।