Monday, December 23, 2024

रोग निवारण हेतु आवश्यक है यौगिक जीवनचर्या

भोजन समाप्ति के बाद यथासंभव 2 से 10 मिनट तक वज्रासन में बैठें या बायीं करवट लेट जायें जिससे चयापचय प्रतिक्रियाओं में तीव्रता आ सके।
भोजन के तुरंत बाद नींद में सोना या कोई भी शारीरिक व मानसिक परिश्रम नहीं करें अन्यथा अति अम्लता, अपचन, वायुविकार, थकान, धड़कन, उच्चरक्तचाप, स्मृति हृास और हृदय विकार में वृद्धि हो सकती है।

भोजन के बाद 2-3 घंटे तक सामान्यत: आराम करें या कोई भी कम परिश्रम वाला शारीरिक व मानसिक कार्य ही करें किंतु कठिन श्रम-साध्यकार्य कदापि न करें।
भोजन करते समय और इसके पश्चात् 2-3 घंटे तक बायीं नासिका की अपेक्षा दायीं नासिका से अधिक मात्र में श्वास चलनी चाहिए ताकि पाचन-क्रि या कुशलतापूर्वक संभव हो सके तथा स्नायविक तंत्रिका तंत्र में सहज संतुलन की स्थिति बनी रह सके।

भोजन करने के 20 मिनट बाद ) गिलास स्वच्छ सामान्य जल अवश्य पीना चाहिए ताकि पाचनक्रि या सुगमतापूर्वक पूर्णता से हो सके।
भोजन के पश्चात् 1-2 घंटे तेज धूप, तेज ठंड या बारिश में भीगने से बचना चाहिए ताकि असामान्य तापक्रम के कारण पाचन क्रिया में गड़बड़ी नहीं हो सके।

भोजन के पश्चात 6 घंटे तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए और इसके बाद अल्पाहार के रूप में सलाद, फल,दूध, अंकुरित अनाज या कोई भी सामान्य खाद्य खाद्य पदार्थ लिया जाना चाहिए।
दिन में भोजन के 6 घंटे बाद शौच जाने की आदत बनानी चाहिए ताकि कब्जियत से बचे रहें।
शौच जाने के तुरन्त पहले अथवा पश्चात् में जल नहीं पीना चाहिए।

नाश्ते के तीन घंटे बाद पुन: भोजन ग्रहण करना चाहिए अन्यथा पेट खाली रहने से अम्लता, वायुविकार, कब्ज मानसिक तनाव या चयापचय प्रक्रि या में स्थायी असामान्यता उत्पन्न हो सकती है।
– डॉ. एस.एस. सरस्वती

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय