नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता अनिल के एंटनी ने आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार इन जमीनी स्तर पर काम करने वाली स्वास्थ्य कर्मियों की अनदेखी कर रही है, जो कि अन्यायपूर्ण है।
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अनिल के एंटनी ने कहा कि “आशा कार्यकर्ता देश के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की रीढ़ हैं। वे न केवल मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती हैं, बल्कि महामारी के दौरान भी उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर सेवा की। बावजूद इसके, उन्हें पर्याप्त वेतन और सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं, जो कि सरासर अन्याय है।”
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आशा कार्यकर्ताओं की मांगों में वेतन वृद्धि, स्थायी नौकरी और सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में उनकी भूमिका को मान्यता देना शामिल है। देशभर में कई राज्यों में आशा कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
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हालांकि, सरकार का कहना है कि वह आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका को महत्व देती है और उनकी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए काम कर रही है। केंद्र और राज्य सरकारों ने समय-समय पर इनके मानदेय में वृद्धि की है, लेकिन कार्यकर्ता इसे पर्याप्त नहीं मानती हैं।
अनिल के एंटनी के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या आशा कार्यकर्ताओं की मांगें पूरी की जाएंगी।