Tuesday, November 5, 2024

एशिया को मजबूत बनाने में बौद्ध धर्म की भूमिका पर चर्चा की आवश्यकता – राष्ट्रपति

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एशिया को मजबूत बनाने में बौद्ध धर्म की भूमिका को लेकर कहा कि हमें इस बात पर चर्चा की आवश्यकता है कि बौद्ध धर्म एशिया और दुनिया में वास्तविक शांति कैसे ला सकता है। एक ऐसी शांति जो न केवल शारीरिक हिंसा से मुक्त हो बल्कि सभी प्रकार के लालच और घृणा से भी मुक्त हो।

सलमान को फिर धमकी, लॉरेंस का सहयोगी बता कर मांगी 5 करोड़ की रंगदारी

राष्ट्रपति ने मंगलवार को नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) के सहयोग से भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित प्रथम एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि शिखर सम्मेलन बुद्ध की शिक्षाओं की हमारी साझा विरासत के आधार पर हमारे सहयोग को मजबूत करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।

अल्मोड़ा बस हादसे में अब तक 20 शव खाई से निकाले गए, संख्या बढ़ने की आशंका

उन्होंने कहा कि भारत धर्म की पवित्र भूमि है। हर युग में भारत में महान गुरु और रहस्यवादी, द्रष्टा और साधक हुए हैं जिन्होंने मानवता को अंदर शांति और बाहर सद्भाव खोजने का मार्ग दिखाया है। इन पथ प्रदर्शकों में बुद्ध का अद्वितीय स्थान है। बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ गौतम का ज्ञान प्राप्त करना इतिहास में अद्वितीय घटना है। उन्होंने न केवल मानव मन के कामकाज के बारे में अतुलनीय समृद्ध अंतर्दृष्टि प्राप्त की, बल्कि उन्होंने बहुजन सुखाय बहुजन हिताय की भावना से सभी लोगों के साथ इसे साझा किया।

सांसद पप्पू यादव को धमकी देने वाला व्यक्ति गिरफ्तार, किसी गिरोह से संबंध नहीं

राष्ट्रपति ने कहा कि सदियों से यह स्वाभाविक ही रहा है कि अलग-अलग साधकों ने बुद्ध के प्रवचनों में अलग-अलग अर्थ निकाले और इस तरह कई तरह के संप्रदाय उभरे। व्यापक वर्गीकरण में, आज हमारे पास थेरवाद, महायान और वज्रयान परंपराएं हैं, जिनमें से प्रत्येक में कई विचारधारा व संप्रदाय हैं। इसके अलावा, बौद्ध धर्म का ऐसा उत्कर्ष इतिहास के विभिन्न कालखंडों में कई दिशाओं में हुआ। एक विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र में धम्म के इस प्रसार ने एक समुदाय, एक बड़ा संघ बनाया। एक तरह से बुद्ध के ज्ञान की भूमि भारत इसका केंद्र है। लेकिन, ईश्वर के बारे में जो कहा जाता है, वह इस बड़े बौद्ध संघ के बारे में भी सच है, इसका केंद्र हर जगह है और परिधि कहीं नहीं है।

 

उन्होंने कहा कि आज जब दुनिया कई मोर्चों पर अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है, न केवल संघर्ष बल्कि जलवायु संकट भी तो एक बड़े बौद्ध समुदाय के पास मानव जाति को देने के लिए बहुत कुछ है। बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदाय दुनिया को दिखाते हैं कि संकीर्ण संप्रदायवाद का मुकाबला कैसे किया जाए। उनका मुख्य संदेश शांति और अहिंसा पर केंद्रित है। यदि कोई एक शब्द बौद्ध धम्म को व्यक्त कर सकता है, तो वह है ‘करुणा’ जिसकी आज दुनिया को जरूरत है।

 

राष्ट्रपति ने कहा कि बुद्ध की शिक्षाओं का संरक्षण हम सभी के लिए महान सामूहिक प्रयास रहा है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि भारत सरकार ने अन्य भाषाओं के साथ-साथ पाली और प्राकृत को भी ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया है। उन्होंने कहा कि पाली और प्राकृत को अब वित्तीय सहायता मिलेगी, जो उनके साहित्यिक समृद्धि के संरक्षण और उनके पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय