नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सदस्यों को जानकारी दी। बैठक में उन्होंने भारतीय सेना की प्रशंसा भी की। कैबिनेट बैठक की शुरुआत में पीएम मोदी को कैबिनेट मंत्रियों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए बधाई दी। कैबिनेट से जुड़े सूत्र ने बताया कि भारतीय सेना ने तैयारी के अनुसार बिना किसी गलती के कार्रवाई को अंजाम दिया। केंद्रीय कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व के प्रति विश्वास जताते हुए कहा कि पूरा देश उनके साथ है।
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सेना की सराहना करते हुए इसे गर्व का पल बताया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर प्रधानमंत्री मोदी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रात भर मॉनिटरिंग कर रहे थे। सूत्रों ने पुष्टि की कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सैन्य कमांडरों के साथ लगातार संपर्क में थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अभियान योजना के अनुसार आगे बढ़े। वहीं, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय ने संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग की, जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिस्री, वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी शामिल हुईं। सैन्य अधिकारियों ने आतंकी ठिकानों पर किए गए हमले की क्लिप भी दिखाई।
कर्नल सोफिया कुरैशी ने इस ऑपरेशन को लेकर बताया, “पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया गया था। 9 आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाकर नष्ट कर दिया गया। पाकिस्तान में पिछले तीन दशकों से आतंकवादी इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा था, जो पाकिस्तान और पीओके दोनों में फैला हुआ है। मैं आपको बताना चाहूंगी कि पीओजेके में पहला लक्ष्य मुजफ्फराबाद में सवाई नाला कैंप था, जो नियंत्रण रेखा से 30 किलोमीटर दूर स्थित है। यह लश्कर-ए-तैयबा का प्रशिक्षण केंद्र था।
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20 अक्टूबर 2024 को सोनमर्ग, 24 अक्टूबर 2024 को गुलमर्ग और 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए हमलों में शामिल आतंकवादियों ने यहीं से प्रशिक्षण प्राप्त किया था।” वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया, “रात 1 बजकर पांच मिनट से 1 बजकर 30 मिनट के बीच हमला किया गया। पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया गया था। नौ आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया और सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया। नागरिक बुनियादी ढांचे को नुकसान से बचाने और किसी भी नागरिक की जान को नुकसान से बचाने के लिए स्थानों का चयन किया गया था।”