नैनीताल। हालिया दिनों में बनी और चर्चित रही फिल्म’12वीं फेल’ जिन आईपीएस अधिकारी मनोज पांडे और उनकी धर्मपत्नी आईआरएस अधिकारी श्रद्धा जोशी पर बनी है, वह दोनों वास्तविक चरित्र पिछले तीन दिनों से अपने बच्चों के साथ नैनीताल में छुट्टियां हैं।
इस दौरान अपनी पहचान को सार्वजनिक किये बिना सोमवार को उन्होंने सपरिवार नैनी झील में नौकायन किया, जबकि इससे पूर्व नगर की आराध्य देवी माता नयना देवी के मंदिर में पूजा-अर्चना की और नगर में सैर तफरीह की। इस दौरान आईपीएस अधिकारी मनोज पांडे ने बताया कि वह कुछ समय पूर्व तक कुमाऊं परिक्षेत्र के आईजी रहे डॉ. नीलेश आनंद भरणे के बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्हें नैनीताल इतना पसंद आया कि वह तीन दिनों से यहां बिना किसी को बताये अपने परिवार के साथ छुट्टियां बिता रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि श्रद्धा जोशी नैनीताल में डिप्टी कलेक्टर रही हैं। वह उत्तराखंड गंगोलीहाट के पोखरी गांव की मूल निवासी हैं और अल्मोड़ा में पली-बढ़ी व पढ़ी हैं। उनकी प्रेरणा से ही बंदूकों के लिये प्रसिद्ध चंबल के बीहड़ के ग्रामीण और बहुत गरीब परिवेश से आने वाले एक लड़के मनोज शर्मा को आईपीएस अधिकारी बना दिया और कानून का रक्षक बना बंदूक दिला दी।
श्रद्धा का जन्म 5 मार्च 1979 को एक ब्राह्मण परिवार में कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्राध्यापक रहे मूलरूप से पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट के पोखरी गांव निवासी प्रोफेसर गणेश जोशी के घर में हुआ और उनका बचपन अल्मोड़ा के ‘सरकार की आली’ में बीता। वह बचपन से ही अनुशासित और पढ़ाई-लिखाई में होशियार रहीं। उन्होंने अल्मोड़ा के राजा आनंद सिंह राजकीय बालिका इंटर कॉलेज से वर्ष 1994 में इंटरमीडिएट की परीक्षा तत्कालीन उत्तर प्रदेश बोर्ड में पूरे प्रदेश में 13वीं रैंक की गति से उत्तीर्ण की। लेकिन इसके ठीक विपरीत उन्हें चंबल के बीहड़ों के मुरैना निवासी नकल के लिये कुख्यात एक विद्यालय में किसी कारण उस वर्ष नकल न होने के कारण पूरे विद्यालय के साथ ’12वीं फेल’ हुए मनोज कुमार शर्मा ने प्रेम निमंत्रण दिया। जिसे उन्होंने स्वीकार किया और 1905 बैच का मुंबर कैडर का आईपीएस बना दिया।
हुआ यह कि श्रद्धा इंटर करने के बाद गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार से डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली चली गई थीं। वहां मुखर्जी नगर में विकास दिव्यकीर्ति के यहां तैयारी करने के दौरान मनोज श्रद्धा से एकतरफा प्यार करने लगे, लेकिन वह श्रद्धा को यह सब बातें नहीं बता पा रहे थे। यहां भी मनोज के साथ वही ’12वीं फेल’ वाली कहानी होती रही। मनोज लगातार तीन प्रयासों में असफल रहे। जबकि श्रद्धा उत्तराखंड पीसीएस के पहले बैच की परीक्षा में 13वां स्थान हासिल कर साल 2005 में नैनीताल की डिप्टी कलेक्टर बन गईं।
जिले में उन्होंने ग्रामीण विकास, पर्यटन, पर्यावरण और महिला विकास से संबंधित मुद्दों पर काम किया। श्रद्धा का साथ मिला तो मनोज 2005 में प्रीलिम्स और मेन्स पास करने के बाद इंटरव्यू में भी पास हो गए। उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर 121वीं रैंक हासिल की। और आईपीएस अधिकारी बन गये। फिर दिसंबर 2005 में दोनों विवाह बंधन में बंध गए। वहीं, मनोज का प्यार भी ऐसा निकला कि 2007 में श्रद्धा भारतीय राजस्व अधिकारी यानी आईआरएस बन गईं। यानी दोनों के लिए प्यार ही उनकी सफलता का संबल बन गया।
बताया गया है कि इस समय मनोज मुंबई में डीआईजी के पद पर तैनात हैं, लोग उन्हें ‘सिंघम कहकर भी बुलाते हैं। जबकि उनकी पत्नी बन चुकी श्रद्धा जोशी इन दिनों महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की सचिव हैं। वह 2018 में महाराष्ट्र के महिला आर्थिक विकास महामंडल की एमडी यानी प्रबंध निदेशक और 2022 से एमटीडीसी यानी महाराष्ट्र टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की एमडी भी रह चुकी हैं। दोनों का एक बेटा और बेटी हैं, विधु विनोद चोपड़ा के निर्देशन में आईपीएस मनोज कुमार शर्मा पर बनी फिल्म ’12वीं फेल’ गत 27 अक्टूबर को रिलीज होने के बाद इन दिनों थियेटरों में दिखाई जा गई है। दोनों की कहानी संघर्ष करते हर युवा को भी हिम्मत व प्रेरणा दिलाने वाली है।