नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दो हजार रुपये के नोट बिना किसी पहचान पत्र के बदलने संबंधी रिजर्व बैंक के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनी।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक की ओर से पेश वकील पराग त्रिपाठी ने कहा कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और इस याचिका को जुर्माने के साथ खारिज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये नोटबंदी नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट को आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।।
याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि दो हजार रुपये के नोट बदलने वाले का नाम और पहचान पत्र लिए बिना यह नोट जमा नहीं किए जाने चाहिए ताकि काला धन रखने वालों की पहचान हो सके। याचिका में कहा गया है कि रिजर्व बैंक का नोटिफिकेशन संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि दो हजार रुपये के नोट को बिना किसी मांग पर्ची और पहचान प्रमाण के जमा करने की अनुमति देना मनमाना, तर्कहीन और भारत के संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है कि रिजर्व बैंक और भारतीय स्टेट को निर्देश दिया जाए कि दो हजार के नोट किसी अन्य बैंक खाते की बजाय संबंधित बैंक खातों में ही जमा किए जाएं, ताकि काला धन और आय से अधिक संपत्ति रखने वाले लोगों की पहचान की जा सके। याचिका में भ्रष्टाचार, बेनामी लेनदेन को खत्म करने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए केंद्र को काले धन और आय से अधिक संपत्ति धारकों के खिलाफ उचित कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।