Sunday, May 12, 2024

भारत की तरक्की में ‘टेलीविजन’ की भूमिका?

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |

इंफॉरमेशन और इंटरटेनमेंट का बड़ा हिस्सा आधुनिक काल में टेलीविजन पर आकर ठहर गया है। टेलीविजन दर्शकों को उनकी पसंद का सारा का सारा मनचारा मटैरियल घर बैठे-बिठाए परोस रहा है। इसलिए कह सकते हैं कि टेलीविजन ने अंगद की भांति देश-दुनिया की तमाम सूचनाओं और मनोरंजनों के साधनों को पहुंचाने और विचारों के आदान-प्रदान के तौर पर अपने पांव मजबूती से जमा लिए हैं। निश्चित रूप से ये आमजन के लिए अच्छा ही है जिसने सशक्त और द्रुतगति का जरिया बनकर सुगमता के अनगिनत रास्ते खोल डाले।

अन्य साधन जैसे रेडियो ने जहां आवाज और अखबार ने पठनीय माध्यमों से सूचनाओं को पंख लगाए हैं। वहीं, टेलीविजन ने संचार को दृश्यात्मकता तौर पर आंखें प्रदान कर दी हैं। टेलीविजन की पकड़ सिर्फ मनोरंजन तक ही नहीं है, बल्कि, समाचार, विचार, शिक्षा और जागरूकता जैसे असंख्य क्षेत्रों में भी अभूतपूर्व कीर्तिमान स्थापित किए हैं। टीवी आमजनों की विभिन्न जिज्ञासाओं को भांप कर उन्हें वैसा ही स्वाद देने का प्रयास करता है। सरकारी योजनाएं हों या सार्वजनिक सूचनाएं सभी में टीवी का पर्दा अभूतपूर्व और अव्वल भूमिका निभा रहा है।

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

गौरतलब है, विकास और अविष्कार हमेसा से एक-दूसरे के समानार्थी सहयोगी रहे हैं। ये तथ्य समानरूपी चरितार्थ इसलिए हैं कि विकास और अविष्कार ने मिलकर विगत तीन दशकों में बड़ा विस्तार किया है जिसमें टेलीविजन की सहती भूमिका रही है। यूं कहें कि टेलीविजन का पर्दा प्रत्येक इंसान के जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। जैसे, इंसान पेट की भूख मिटाने के लिए भोजन का नियमित सेवन करता है। ठीक उसी तरह सूचनाओं को जानने के लिए टेलीविजन देखता है।

बात कोई वर्ष 1996 के आसपास की है, जब पहली मर्तबा विश्व टेलीविजन फोरम की याद मे हर साल 21 नवंबर को ‘विश्व टेलीविजन दिवस’ मनाने का प्रचलन शुरू हुआ। उसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने लोगों के निर्णय की क्षमता पर ऑडियो-विजुअल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और अन्य प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने में टीवी की संभावित भूमिका को पहचानने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया। टेलीविजन की ताकत ने उसे सर्वसहमित से पास करवा दिया। भारत में टेलीविजन प्रसारण की शुरुआत दिल्ली से 15 सितंबर, 1959 को हुई, जो कुछ वर्षों में तेजी से रफ्तार पकड़ी।

बहरहाल, टीवी के आविष्कार की जहां तक बात है, तो एक प्रसिद्व स्कॉटिश इंजीनियर हुआ करते थे जिन्होंने टीवी को खोजा। उनका नाम था ‘जॉन लोगी बेयर्ड’। जॉन ने वर्ष-1924 में टीवी का श्रीगणेश किया। फिर 1927 में संसार में पहले वर्किंग टेलीविजन का निर्माण हुआ, जिसे सितंबर की पहली तारीख और सन-1928 को प्रेस के सामने प्रस्तुत किया गया। इसके बाद टीवी ने अपना ऐसा प्रभाव छोड़ा, जिसके सामने समूचा संसार नतमस्तक हो गया।

वैसे, कलर टेलीविजन के आविष्कार का भी श्रेय महान वैज्ञानिक ‘जॉन लोगी बेयर्ड’ को ही जाता है जिन्होंने ही 1928 में टीवी के सफेद पर्दे को रंगीन में बदला था। उसके बाद से रंगीन टीवी का प्रचलन आरंभ हुआ। 21वीं सदी में टेलीविजऩ ने मुद्रित माध्यम की साक्षर होने की शर्त को भी अनावश्यक प्रमाणित कर दिया। भारतीय संदर्भ में देखें, तो सिनेमा उद्योग आज भी अपनी फिल्मों के प्रमोशन से लेकर रिएलिटी शोज़ को आगे बढ़ाने के लिए टेलीविजऩ की ओर ही दौड़ते हैं। दरअसल उनको टीवी की ताकत का अंदाजा अच्छे से होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जब देशवासियों से कुछ कहना होता है, तो वह भी टीवी के जरिए ही अपनी जरूरी बात को सभी तक पहुंचाते हैं।

फिलहाल, मौजूदा वक्त में टीवी की भूमिका में एक और बड़ा अध्याय जुड़ गया है। संचार क्रांति फोटोग्राफी, टेलीग्राफी, रेडियो और टेलीविजऩ के आविष्कारों से समृद्ध होते हुए बदलाव का सिलसिला अब इंटरनेट तक पहुंच गया है। ये बात तथ्यात्मक है कि इंटरनेट से पहले रेडियो-टेलीविजऩ ने ही संचार क्रांति को आगे बढ़ाया था। अनेक प्रकार की आधुनिक प्रसारण तकनीकों के आविष्कार के कारण रेडियो और टेलीविजन ने सारी दुनिया को एक इकाई के रूप में तब्दील कर दिया था पर उसमें अब इंटरनेट की एंट्री हो चुकी है।

इंटरनेट की अपनी ताकत है वो टीवी को भी परोसता है। उदाहरण के लिए जब क्रिकेट मैच होते हैं, तब टीवी पर जो दर्शक नहीं देख पाते, वो इंटरनेट के माध्यम से टीवी का जरिया खोज लेते हैं। कल जब भारत- ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट वर्ल्ड कप का मैच हो रहा था तो 16 करोड़ लोग इंटरनेट पर मैच का लुत्फ़ उठा रहे थे। समय के साथ-साथ चीजें बदलती रहती है और बदलाव तो प्रकृति का नियम भी है पर इतना तय है, इंटरनेट कभी भी टीवी के लिए चुनौती नहीं बन सकता।
पत्रकारिता क्षेत्र में टीवी की महत्ता को कोई कमतर नहीं आंक सकता क्योंकि पत्रकारिता में भी टेलीविजऩ ने अपनी उपयोगिता सिद्ध की है। चाहे किसी तरह की घटनाएं हो, जैसे, प्राकृतिक आपदाएं, युद्धकाल और मानवाधिकारों के क्षेत्र में भी टेलीविजन ने परिवर्तनकारी भूमिकाएं निभाई हैं।

दरअसल, दृश्य टीवी की ताकत होते हैं। कवरेज के दौरान दिखाए गए दृश्यों पर दुनिया आंख मूंदकर विश्वास करती है। बेशक, भारत में टेलीविजऩ प्रसारण की शुरूआत देरी से हुई हो, पर हिंदुस्तान में टेलीविजऩ पत्रकारिता का इतिहास काफी पुराना है। प्रसारण क्षेत्र पर आजादी के बाद दूरदर्शन का लगभग तीन दशकों तक एकतरफा एकाधिकार रहा लेकिन अब केबल टीवी और प्राइवेट चैनलों का बोलबाला है। सन 1990 के बाद से प्राइवेट चैनलों पर चौबीस घंटे के समाचार की शुरुआत ने चीजें को बहुत तेजी से बदल डाला। पुरानी रूढ़ व्यवस्थाओं को बदलने से लेकर नए-नए वैज्ञानिक आविष्कारों तक, सभी प्रकार के परिवर्तनों में सूचनाओं के आदान-प्रदान में टीवी की भूमिका अहम रही है और सिलसिला आगे भी बदस्तूर जारी रहेगा।
-डॉ0 रमेश ठाकुर

Related Articles

STAY CONNECTED

74,237FansLike
5,309FollowersFollow
47,101SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय