रांची। झारखंड में नई सरकार को लेकर कायम संकट और सस्पेंस के बीच झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन के 40 विधायकों को गुरुवार शाम को दो चार्टर्ड प्लेन से हैदराबाद भेजने की तैयारी पूरी कर ली गई। गठबंधन के नेता चंपई सोरेन सहित तीन विधायक रांची में ही रुके हैं, ताकि, वह पल-पल बदलती राजनीतिक परिस्थितियों पर निगाह रखते हुए रणनीति तय कर सकें।
विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट करने का यह फैसला सरकार बनाने की दावेदारी पर राज्यपाल द्वारा 20-22 घंटे बाद भी कोई निर्णय न लिए जाने की वजह से लिया गया है। ये सभी विधायक पिछले तीन दिनों से रांची के सर्किट हाउस में टिके थे। ये सभी गुरुवार को बसों पर सवार होकर एयरपोर्ट पहुंचे, जहां से इन्हें हैदराबाद ले जाने के लिए दो चार्टर्ड प्लेन मंगाए गए थे।
कहा जा रहा है कि अब नई सरकार के लिए आमंत्रण मिलने तक सभी विधायक हैदराबाद में ही रहेंगे। रणनीति यह है कि तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए विधायक वहां सुरक्षित रहेंगे। वर्ष 2022 में भी जब हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर चुनाव आयोग के फैसले की वजह से सरकार पर संकट गहराया था, तब सत्तारूढ़ गठबंधन के तमाम विधायक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर ले जाकर तीन दिनों तक रिजॉर्ट में टिकाए गए थे। उस वक्त छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी।
एयरपोर्ट पहुंचे विधायकों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य को संवैधानिक संकट से बचाने के लिए हमने एक साथ एक सुरक्षित जगह पर रहने का निर्णय लिया है।
इसके पहले चंपई सोरेन ने गुरुवार शाम को दूसरी बार राजभवन पहुंचकर सरकार के लिए दावेदारी पेश की। लेकिन, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि वह इस बारे में अपना निर्णय शुक्रवार को बताएंगे। उन्होंने चंपई सोरेन से कहा कि इस संबंध में आवश्यक परामर्श मांगा गया है, जो अब तक नहीं मिला है। शुक्रवार की रात तक राज्य में यथास्थिति बनी रहेगी।
हेमंत सोरेन ने बुधवार की रात करीब 8.30 बजे सीएम पद से इस्तीफा दिया था। इसके तुरंत बाद चंपई सोरेन ने 43 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र राज्यपाल को सौंपकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। उन्होंने कहा था कि हमें कुल 47 विधायकों का समर्थन हासिल है। लेकिन, चार विधायक अभी राज्य के बाहर हैं। सरकार बनाने के लिए विधायकों की जरूरी संख्या 41 है और राज्यपाल अगर इजाजत दें तो हम इनकी परेड कराने को तैयार हैं।
लेकिन, 22 घंटे से ज्यादा वक्त गुजरने के बाद भी राज्यपाल ने उनकी दावेदारी पर निर्णय नहीं लिया और अब उन्होंने शुक्रवार सुबह तक के लिए अपना फैसला स्थगित रख लिया है। इसी बीच हेमंत सोरेन गुरुवार को पीएमएलए कोर्ट में पेशी के बाद रांची के बिरसा मुंडा जेल भेजे गए हैं और अब राज्य में इस बात को लेकर संदेह और सस्पेंस बना हुआ है कि 31 जनवरी की रात साढ़े आठ बजे के बाद से किसकी सरकार है? क्या नई सरकार बनने तक हेमंत सोरेन राज्य के कार्यवाहक मुख्यमंत्री हैं और फिलहाल राज्य की सरकार उनके नाम पर चल रही है?
गुरुवार को राजभवन गए चंपई सोरेन ने राज्यपाल को उन सभी 43 विधायकों की गिनती का वीडियो दिखाया, जिनके समर्थन के आधार पर वे सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। राज्यपाल से मुलाकात के वक्त चंपई सोरेन के साथ कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, राजद विधायक सत्यानंद भोक्ता, झारखंड विकास मोर्चा (प्र) के प्रदीप यादव और सीपीआई एमएल के विधायक विनोद सिंह भी थे।
बहरहाल, राज्यपाल शुक्रवार सुबह क्या निर्णय सुनाते हैं, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। वह गठबंधन के नए नेता चंपई सोरेन की दावेदारी स्वीकार कर उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे या फिर उनका निर्णय कुछ और होगा, इसे लेकर धुंध बरकरार है।
दूसरी तरफ राज्य की प्रमुख विपक्षी भाजपा भी सरकार को लेकर कायम सस्पेंस के बीच सक्रिय हो गई है। हरमू रोड स्थित भाजपा के कार्यालय में पार्टी के प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी सहित पार्टी के नेता मौजूदा स्थितियों पर चर्चा कर रहे हैं। शुक्रवार को भाजपा ने अपने विधायकों की भी बैठक बुलाई है, जिसमें मौजूदा स्थिति को लेकर रणनीति पर चर्चा होगी।