नोएडा। गौतमबुद्ध नगर जिले में ओसी (ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट) और सीसी (कम्पलीशन सर्टिफिकेट) प्राप्त फ्लैटों की रजिस्ट्री में हो रही अनदेखी अब प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के करीब 95 बिल्डर्स ऐसे हैं जिन्होंने फ्लैट खरीदारों को कब्जा तो दे दिया है, लेकिन अभी तक उनकी सब-लीज डीड यानी रजिस्ट्री नहीं कराई है। इस पर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए सभी बिल्डर्स को नोटिस जारी किया है और 15 मई को डीएम मनीष कुमार वर्मा की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में अनिवार्य रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
इस संबंध में सहायक आयुक्त स्टांप-प्रथम एवं सहायक महानिरीक्षक निबंधन बीएस वर्मा ने बताया कि जिन बिल्डर्स ने अब तक खरीदारों की रजिस्ट्री नहीं कराई है, उन्हें पहले भी कई बार नोटिस भेजे जा चुके हैं, लेकिन न तो उन्होंने संतोषजनक जवाब दिया और न ही रजिस्ट्री कराने के लिए कोई ठोस कदम उठाया। उन्होंने चेतावनी दी कि बैठक में अनुपस्थित रहने या असहयोगात्मक रवैया अपनाने वाले बिल्डर्स के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
खरीदारों के अधिकारों का हो रहा हनन
फ्लैटों की रजिस्ट्री न होने के कारण हजारों खरीदार अपने कानूनी अधिकारों से वंचित हैं, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं, बैंकों से लोन और अन्य जरूरी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कई बार शिकायतें मिलने के बाद, कलेक्ट्रेट सभागार में एक उच्चस्तरीय बैठक भी बुलाई गई थी, जिसमें डीएम ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि एक महीने के भीतर रजिस्ट्री प्रक्रिया को पूरा किया जाए। लेकिन अब तक कोई ठोस प्रगति न होने के चलते, प्रशासन ने दोबारा सख्ती बरतने का निर्णय लिया है।
शासन के निर्देश और बिल्डर्स की अनदेखी
गौरतलब है कि 15 सितंबर 2022 को उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्देश दिए गए थे कि ऐसे सभी मामलों में नोटिस जारी किए जाएं, जिनमें कब्जा तो मिल चुका हो लेकिन रजिस्ट्री लंबित हो। इसके बावजूद अधिकांश बिल्डर्स ने न ही सही जवाब दिया और न ही प्रक्रिया पूरी की, जिससे अब स्थिति प्रशासन के नियंत्रण से बाहर होती नजर आ रही है।
15 मई को होगी कड़ी कार्रवाई वाली बैठक
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए 15 मई 2025 को दोपहर 1 बजे सूरजपुर स्थित कलेक्ट्रेट सभागार में पुनः बैठक आयोजित की गई है, जिसकी अध्यक्षता स्वयं डीएम मनीष कुमार वर्मा करेंगे। यह बैठक न केवल बिल्डर्स के लिए अल्टीमेटम होगी, बल्कि खरीदारों के हितों की रक्षा की दिशा में एक निर्णायक कदम भी साबित हो सकती है।