Thursday, May 15, 2025

मुजफ्फरनगर में भाकियू अराजनैतिक ने मनाया तीसरा स्थापना दिवस, किसानों के मसीहा टिकैत को दी श्रद्धांजलि

 

मुज़फ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) ने आज अपना तीसरा स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस अवसर पर आयोजित गोष्ठी में संगठन के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने न केवल बीते तीन वर्षों की संघर्षगाथा को साझा किया, बल्कि किसानों के मसीहा स्व. चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके सिद्धांतों पर चलने का संकल्प भी दोहराया।

 

 

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गोष्ठी की शुरुआत श्रद्धांजलि सभा से हुई, जिसमें  जीआईसी मैदान पर कार्यकर्ता एकत्र हुए। कार्यक्रम में संगठन के युवा जिला प्रभारी विनीत त्यागी ने कहा, “हमारे लिए यह केवल एक स्थापना दिवस नहीं, बल्कि उस विरासत का सम्मान है जो बाबा टिकैत ने किसानों के लिए संघर्ष करते हुए छोड़ी।” उन्होंने कहा कि भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) की स्थापना उन्हीं मूल्यों पर हुई, जिनके लिए बाबा टिकैत आजीवन लड़ते रहे।

 

 

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विनीत त्यागी ने बताया कि इस अल्पकाल में संगठन ने किसानों के कई मुद्दों को मजबूती से उठाया —

•फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी

•कृषि सब्सिडी और नि:शुल्क बिजली की मांग

•आसान कर्ज और स्टोरेज सुविधाओं की उपलब्धता

•और हाल ही में, गन्ना भुगतान को सीधे किसानों के बैंक खातों में स्थानांतरित करने का फैसला

 

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गन्ना किसानों के भुगतान को सोसाइटियों से हटाकर सीधा बैंक खातों में भेजे जाने के निर्णय को “स्वागत योग्य और ऐतिहासिक कदम” बताया।

 

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भ्रष्टाचार और बिजली व्यवस्था में बदलाव की लड़ाई

 

पश्चिम प्रदेश प्रभारी राजीव नीटू दुलहरा ने संगठन की प्रमुख उपलब्धियों पर रोशनी डालते हुए कहा कि

 

“हमारे प्रयासों से बजाज ग्रुप की शुगर मिलों से ₹1600 करोड़ का बकाया भुगतान दिलवाया गया। वहीं क्षेत्र में पिछले 35–40 वर्षों से लंबित चकबंदी प्रक्रिया में फैले भ्रष्टाचार को भी उजागर कर समाप्त करने में सफलता मिली।”

 

 

 

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उन्होंने आगे बताया कि किसानों को दो शिफ्ट में बिजली देने की योजना का संगठन ने जमकर विरोध किया, जिससे सरकार को फैसला बदलना पड़ा और किसानों को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हुई।

 

कार्यक्रम में संगठन के सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे और ‘जय जवान जय किसान’ के नारों से वातावरण गूंज उठा। अंत में सभी ने बाबा टिकैत के विचारों को आत्मसात कर, किसान अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया।

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