जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2022 में कोरोना काल में संविदा पर काम कर चुके चिकित्सकों को बोनस अंक देने के मामले में दायर याचिकाओं का निस्तारण कर दिया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि हम मामले में कोई निर्देश नहीं दे रहे हैं, लेकिन लोक कल्याणकारी राज्य होने के नाते राज्य सरकार इस संबंध में मुख्यमंत्री की ओर से दिए आश्वासन और केन्द्र सरकार की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए इस पर विचार करे। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश मनीष कुमार शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए दिए हैं।
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी व अन्य ने बताया कि राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने 13 अक्टूबर, 2022 को चिकित्सा अधिकारियों के 840 पदों पर भर्ती निकाली। इन पदों को बाद में बढा दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने भर्ती में भाग लिया, लेकिन उनका चयन नहीं हुआ। जिसे चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने कोविड संक्रमण के समय विभिन्न अस्पतालों में लंबे समय तक बतौर संविदाकर्मी अपनी सेवाएं दी हैं।
याचिका में बताया गया कि केन्द्र सरकार ने 3 मई, 2021 को सभी राज्य सरकारों को पत्र जारी कर कहा था कि कोविड काल में विशेष योजना के तहत काम कर चुके चिकित्सा कर्मियों को राज्य सरकार की नियमित भर्ती में वरीयता देने पर विचार किया जाए। वहीं मुख्यमंत्री ने भी कोरोना काल में काम करने वाले चिकित्सा अधिकारी और पैरा मेडिकल स्टाफ को आगामी भर्तियों में बोनस अंक और वरीयता देने की घोषणा की।
इसके चलते राज्य सरकार ने पैरा मेडिकल स्टाफ को तो बोनस अंक दे दिए, लेकिन चिकित्सा अधिकारियों को इससे वंचित कर दिया। इसका विरोध करते हुए आरयूएचएस की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि यह मामला राज्य सरकार के नीतिगत निर्णय से जुडा है। याचिकाकर्ताओं को बोनस अंक लेने का कोई विधिक अधिकार नहीं है।
याचिकाकर्ता परीक्षा में शामिल हुए है और वे बोनस अंक के हकदार नहीं है। इसलिए याचिकाओं को खारिज किया जाए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मुख्यमंत्री के आश्वासन और केन्द्र सरकार की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए इस पर विचार करने को कहा है।