यमुनानगर। हरियाणा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र हुड्डा ने बुधवार को कहा कि राज्य की भाजपा-जेजेपी सरकार के खिलाफ बढ़ता जनाक्रोश राज्य में सत्ता परिवर्तन का संकेत दे रहा है।
हरियाणा दिवस के मौके पर लोगों को बधाई देते हुए कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जन आक्रोश रैली कर राज्य में ‘सत्ता परिवर्तन’ का बिगुल फूंका।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष उदयभान राज्य के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने संबोधन में कहा, ”जनता के उत्साह और समर्थन को देखकर प्रदेश में परिवर्तन निश्चित है। इसे कोई नहीं रोक सकता। लोग भाजपा-जजपा सरकार से तंग आ चुके हैं। रादौर से जनसंदेश पूरे हरियाणा में जाएगा। जनता ने 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार लाने का मन बना लिया है।”
उन्होंने कहा कि वह हरियाणा के विकासात्मक संकेतकों में गिरावट से दुखी हैं। 2014 तक, हरियाणा प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति निवेश, रोजगार सृजन और कानून व्यवस्था, किसानों, गरीबों और व्यापारियों के कल्याण में नंबर एक था। समाज का हर वर्ग खुश था।
यह दुखद है कि हरियाणा आज विकास दर में 17वें स्थान पर और बेरोजगारी, अपराध और नशे की लत में टॉप पर पहुंच गया है। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं, स्कूलों में शिक्षक नहीं और दफ्तरों में कर्मचारी नहीं हैं।
पूरे नौ साल में कहां पहुंच गया हरियाणा? इस सरकार ने जनता से 5,100 रुपये की वृद्धावस्था पेंशन, किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य), उनकी आय दोगुनी करने और हर जिले में मेडिकल कॉलेज जैसे बड़े वादे किए। लेकिन, नौ साल बाद हर व्यक्ति ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
इसके अलावा गन्ना किसानों की समस्याओं पर चर्चा करते हुए हुड्डा ने कहा, ”2005 से 2014 के बीच कांग्रेस सरकार ने गन्ने का दाम 117 रुपये से बढ़ाकर 310 रुपये कर दिया। वर्तमान सरकार ने गन्ने का दाम बढ़ाने के नाम पर कभी 5 रुपये तो कभी 10 रुपये बढ़ा दिए। जब बाजार में चीनी इतनी महंगी है तो सरकार गन्ने का दाम कम से कम 450 रुपये प्रति क्विंटल क्यों नहीं दे रही है।”
उन्होंने आश्वासन दिया, “जब हमारी सरकार आएगी तो गन्ने का मूल्य बढ़ाकर न्यूनतम 450 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया जाएगा।”
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने कहा कि सरकार को उखाड़ फेंकने का समय आ गया है। रैली को संबोधित करते हुए सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार के पास सत्ता संभालने के कुछ ही महीने बचे हैं।