Sunday, September 29, 2024

भाजपा ने दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की

नई दिल्ली। दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले का आरोप लगाते हुए भाजपा ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी से यह सवाल पूछा है कि क्या दिल्ली सरकार ईमानदारी से इस घोटाले की सीबीआई जांच कराएगी ? क्या केजरीवाल सरकार अपने मंत्री और दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष पर केस दर्ज कराएगी ?

केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए दिल्ली जल बोर्ड में लगभग 3,237 करोड़ रुपए का घोटाला उजागर करने का दावा किया और इसके लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहाराया।

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भाजपा नेताओं ने केजरीवाल से दिल्ली जल बोर्ड घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग करते हुए चेतावनी दी कि अगर सीएम केजरीवाल इस मामले की सीबीआई जांच नहीं कराएंगे तो पार्टी दिल्ली के उपराज्यपाल से इस घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग करेगी।

केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली जल बोर्ड में उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ गई है, इसके बावजूद 70 हजार करोड़ रुपए का घाटा दिखाया जा रहा है, यह कैसी दुकानदारी है ? अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में पानी घोटाले के लिए जवाब देना होगा।

लेखी ने आगे कहा कि केजरीवाल सरकार नए-नए तरीके से घोटाले कर रही है, जो इन पंक्तियों को चरितार्थ करती है-‘हाय तौबा, हाय अल्लाह, केजरीवाल ने किया एक और नया घोटाला।’

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने सभी भ्रष्टाचारियों को लूट की खुली छूट दे रखी है। आकाश से लेकर पाताल तक जहां जो लूट मचानी है मचा लें, जहां जो लूटना है लूट लें।

दिल्ली जल बोर्ड के बैंक अकाउंट के स्टेटमेंट एवं वित्तीय रिपोर्ट का जिक्र करते हुए लेखी ने कहा कि वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच दिल्ली जल बोर्ड ने वित्तीय खर्च के बारे में कई जानकारियां छिपाई हैं। वर्ष 2017-18 के बाद से दिल्ली जल बोर्ड के अकाउंट का डिटेल डिक्लरेशन भी सही ढंग से नहीं किया गया है। दिल्ली जल बोर्ड में इसी तरह के कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली जल बोर्ड ने अपने 450 से अधिक बैंक अकाउंट्स में से लगभग 110 अकाउंट्स के बैलेंस को अपनी बैलेंस शीट में दिखाया ही नहीं है। इसमें 77 बैंक अकाउंट्स में लगभग 100 करोड़ रुपए से अधिक की राशि पड़ी हुई है। कई अकाउंट्स के आगे शून्य बैलेंस दिखाया गया है। जबकि, उस अकाउंट में करोड़ों रुपए पड़े हुए हैं।

लेखी ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के हिसाब किताब में लगभग 300 करोड़ रुपए के लेन-देन की जानकारी ही नहीं है। जल बोर्ड की 2018 की वित्तीय रिपोर्ट में 1,167 करोड़ रुपए का हिसाब-किताब ही नहीं है। बैंक एडजस्टमेंट के नाम पर लगभग 117 करोड़ रुपए की एंट्री दिखाई गई है, जो कहीं से भी जायज नहीं लग रहा है। लगभग 135 करोड़ रुपए की एफडी सर्टिफिकेट्स की जानकारी भी उपलब्ध नहीं हैं। बट्टे खाते में कोई 100-50 रुपये नहीं, बल्कि 117 करोड़ रुपये डाले हुए हैं।

लेखी ने कहा कि इसी तरह दिल्ली जल बोर्ड के वित्तीय स्टेटमेंट में खर्च नहीं होने वाली राशि में लगभग 1,601 करोड़ रुपए दिखाए गए हैं, जबकि दिल्ली जल बोर्ड के बैंक अकाउंट्स में यह राशि कहीं दिख नहीं रही है। सवाल उठता है कि जब पैसा खर्च ही नहीं हुआ, तो वह पैसा बैंक अकाउंट में क्यों नहीं है? लगभग 600 करोड़ रुपए के काम के लिए 12 हजार वर्क ऑर्डर निकालकर काम सौंप भी दिया गया।

लेखी ने कहा, “शीशमहल घोटाले की तरह दिल्ली जल बोर्ड घोटाले में भी 5 लाख रुपए और 5 लाख रुपए से कम के काम सौंपे गए, ताकि टेंडर प्रक्रिया में जाना ही नहीं पड़े। गैर कानूनी तरीके से वाटर टैंकर्स का भुगतान किया गया, जिसकी वजह से प्रोजेक्ट कॉस्ट 35 प्रतिशत बढ़ गया। ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली जल बोर्ड ने आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों को वाटर सप्लायर्स का काम दिया और गैर कानूनी तरीके से भुगतान भी किया। जबकि, अरविंद केजरीवाल सत्ता में आने से पहले तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित पर आरोप लगाते रहते थे कि दिल्ली में टैंकर्स माफिया को शीला दीक्षित सरकार प्रोत्साहित करती हैं।”

लेखी ने कहा कि केजरीवाल वैसे तो सभी फालतू मुद्दों पर बोलते हैं, तो दिल्ली जल बोर्ड घोटाले मामले पर एक प्रेस कांफ्रेंस करके दिल्ली की जनता को सही जानकारी क्यों नहीं देते ? क्या मंत्री आतिशी दिल्ली जल बोर्ड घोटाले पर अपनी चुप्पी तोडेंगी ? वैसे भी दीपावली के बावजूद 72 घंटें में 650 पेज की रिपोर्ट तैयार करने में उन्हें अच्छी खासी महारत हासिल है ?

वहीं, भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने केजरीवाल सरकार के घोटाले पर कटाक्ष करते हुए कहा कि दिल्ली जल बोर्ड ने टैंकर्स से वाटर सप्लाई के लिए लगभग 250 करोड़ रुपए बढ़ाकर भुगतान किया, जबकि, इस मद में 637 करोड़ रुपए का ही भगुतान करना था। शराब घोटाले की तरह ही राशि बढ़ाकर भुगतान किया गया, ताकि किक-बैक मिल सके।

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी से जुडे़ लोगों को वाटर सप्लाई का कांट्रैक्ट दिया गया, ताकि आसानी से कमीशन मिल सके। आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार करने में देश में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। अरविंद केजरीवाल जहां हाथ लगाते हैं, वहीँ से घोटाला निकलने लगता है।

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