नई दिल्ली। एशियाई पैरा खेलों में दिव्यांग खिलाड़ियों ने अपनी अदम्य विजयी भावना के बल पर एक नया इतिहास रचा है। इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार अभी भी जारी है। इसमें डॉ. दीपा मलिक और सुश्री अवनी लेखरा जैसे खिलाड़ियों द्वारा निभाई गई प्रेरणादायक भूमिका सराहनीय रही है। भारत ने इन लक्ष्यों को उच्च प्राथमिकता दी है और उन्हें हासिल करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के मौके पर वर्ष 2023 के लिए दिव्यांगों के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के दौरान उक्त उदगार व्यक्त किए। राष्ट्रपति ने कहा कि जिन दिव्यांगाें ने विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल की है, उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार अन्य दिव्यांगों की मदद करनी चाहिए। इससे उचित सुविधाओं, अवसरों और सशक्तिकरण प्रयासों की मदद से सभी दिव्यांग समानता और सम्मान के साथ रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांगों के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार एक सराहनीय माध्यम है, जिसके तहत व्यक्तिगत और संगठनात्मक कार्यों की मान्यता सभी को प्रोत्साहित करती है। राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया की कुल आबादी का लगभग 15 प्रतिशत दिव्यांग हैं और उनका सशक्तिकरण एक उच्च प्राथमिकता है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि पिछले कुछ वर्षों में दिव्यांगों के प्रति समाज के दृष्टिकोण में बदलाव आया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह गर्व की बात है कि नए संसद भवन का हर हिस्सा दिव्यांगों के लिए सुलभ है। उन्होंने सभी से इससे सीख लेने और शुरू से ही दिव्यांगों की जरूरतों को सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें नवीनीकरण की बजाय नवप्रवर्तन की सोच रखकर काम करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य और कल्याण, अच्छी शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वच्छता और पेयजल आदि से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने से दिव्यांगों के सशक्तिकरण को विशेष प्रोत्साहन मिलता है।