Monday, November 25, 2024

यासिन मलिक को फांसी की सजा देने की एनआईए की मांग पर सुनवाई 14 फरवरी के लिए टली

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने हत्या और टेरर फंडिंग मामले में दोषी यासिन मलिक को फांसी की सजा की नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की मांग पर सुनवाई टाल दी है। हाई कोर्ट याचिका पर अगली सुनवाई 14 फरवरी को करने का आदेश दिया। कोर्ट ने यासिन मलिक को 14 फरवरी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश होने का निर्देश दिया।

हाई कोर्ट ने एनआईए की याचिका पर सुनवाई करते हुए 29 मई को यासिन मलिक को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने यासिन मलिक पर लगे आरोपों को सही पाया था। उन्होंने कहा था कि यह अजीब है कि कोई भी देश की अखंडता को तोड़ने की कोशिश करे और बाद में कहे कि मैं अपनी गलती मानता हूं और ट्रायल का सामना न करे। यह कानूनी रूप से सही नहीं है।

उन्होंने कहा था कि एनआईए के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि मलिक ने कश्मीर के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की। वह लगातार सशस्त्र विद्रोह कर रहा था। वो सेना के जवानों की हत्या में शामिल रहा, कश्मीर को अलग करने की बात करता रहा। क्या यह दुर्लभतम मामला नहीं हो सकता।

मेहता ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 121 के तहत भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के मामले में मौत की सजा का भी प्रावधान है। ऐसे अपराधी को मौत की सजा मिलनी चाहिए। मेहता ने कहा था कि यासिन मलिक वायुसेना के चार जवानों की हत्या में शामिल रहा। उसके सहयोगियों ने तत्कालीन गृह मंत्री की बेटी रुबिया सईद का अपहरण किया।

हाई कोर्ट ने मेहता से पूछा कि आप जवानों को मारने की बात कह रहे हैं। वह विचार कहां हुआ, आप वो बताइए। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में 4 वायु सेना के अधिकारियों की हत्या का जिक्र कहां है। इस आदेश में तो पत्थरबाजी में शामिल होने की बात कही गई है। मेहता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि वायु सेना के 4 अधिकारियों की हत्या का मामला फैसले की कॉपी में नहीं है।

25 मई, 2022 को पटियाला हाउस कोर्ट ने हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए गए यासिन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने यासिन मलिक पर यूएपीए की धारा 17 के तहत उम्रकैद और दस लाख रुपये का जुर्माना, धारा 18 के तहत दस साल की कैद और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 20 के तहत दस वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 38 और 39 के तहत पांच साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने यासिन मलिक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत दस वर्ष की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 121ए के तहत दस साल की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने कहा था कि यासिन मलिक को मिली ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसका मतलब की अधिकतम उम्रकैद की सजा और दस लाख रुपये का जुर्माना प्रभावी होगा।

10 मई, 2022 को यासिन मलिक ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था। 16 मार्च, 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद , सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।

एनआईए के मुताबिक हाफिद सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिल कर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।

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