Friday, January 24, 2025

द्रमुक सांसद अब्दुल्ला के पेरियार की पंक्तियों को उद्धृत करने पर राज्यसभा में भारी हंगामा

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में उस समय भारी हंगामा हुआ, जब द्रमुक सांसद एम.एम. मोहम्मद अब्दुल्ला ने पेरियार की पंक्तियों को उद्धृत किया।

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कड़ी आपत्ति जताई, जबकि सत्तापक्ष के सदस्यों ने कांग्रेस से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा कि क्या वह द्रमुक के बयान का समर्थन करती है, जो उसका इंडिया गठबंधन का भागीदार है।

राज्यसभा में दो जम्मू-कश्मीर विधेयकों पर चर्चा के दौरान अब्दुल्ला ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर विधेयकों का विरोध करने के लिए खड़े हैं और अनुच्छेद 370 को निरस्त करना संघवाद पर हमला है। 2019 का अधिनियम (संशोधन) असंवैधानिक है।

हालांकि, उन्हें धनखड़ ने रोक दिया, जबकि ट्रेजरी बेंच के सदस्यों ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को “नकार” कर रहे हैं।

इसके बाद धनखड़ ने कहा, ”सदस्यों को इस तथ्य से अवगत होने की जरूरत है कि संसद ने जो किया है, उसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। इसलिए फैसले के खिलाफ बोलना, जो कि देश का कानून है, उचित नहीं है, आपका दावा सौ प्रतिशत इसके विपरीत था और इसलिए आपत्ति उठाई गई है।”

उन्होंने आगे कहा कि जब न्यायपालिका ने किसी विशेष मुद्दे पर व्यापक और निर्णायक रूप से विचार किया है, तो हमें उसका पालन करना होगा।

धनखड़ की बात पर प्रतिक्रिया देते हुए द्रमुक सदस्य ने कहा कि वह फैसले पर टिप्‍पणी नहीं कर रहेे हैं, बल्कि अपनी बात कह रहे हैं। इस पर कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि सदन के सदस्यों को अपनी बात कहने की आजादी है।

धनखड़ ने कहा कि सदन में आपकी बोलने की आजादी आपको कुछ भी कहने का लाइसेंस नहीं देती है। “आपको अत्यधिक जवाबदेह होना होगा। आपको सदन में जवाबदेह होना होगा।”

धनखड़ ने कहा कि यह अनुचित है और कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं जाएगा। “अदालत ने फैसला दे दिया है और सदस्य इसके बारे में बात कर रहे हैं, हम इस तरह फैसले का उपहास नहीं उड़ा सकते।”

इसके बाद अब्दुल्ला ने पेरियार की पंक्तियों को भी उद्धृत किया और कहा, “हर जाति को आत्मनिर्णय का अधिकार है।“

हालांकि, उन्हें जल्द ही धनखड़ ने रोक दिया और उन पर मंच पर दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया और कहा कि आप बहुत आगे बढ़ गए हैं।

धनखड़ ने कहा, “मैं आपकी टिप्पणियां मिटाता हूं, आप नस्लीय भेदभाव का संकेत देते हैं। क्षमा करें, इसे हटा दिया गया है।”

उन्होंने कांग्रेस सदस्यों से यह भी पूछा कि वे इस पर चुप क्यों हैं?

इस बीच अब्दुल्ला ने कहा कि सदन ने उनकी अभिव्यक्ति को गलत समझा।

हंगामे के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा कि अब्दुल्ला की टिप्पणियों को रिकार्ड से हटा दिया जाना चाहिए।

सदन में हंगामा सुनकर अमित शाह उठे और पूछा, ”क्या कांग्रेस अब्दुल्ला के बयान से संतुष्ट है? आप जो कह रहे हैं, मुझे लगता है कि आप उसका समर्थन कर रहे हैं। यह रिकॉर्ड पर स्पष्ट होना चाहिए कि क्या कांग्रेस डीएमके सदस्य अब्दुल्ला के समर्थन में है। एलओपी को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।

मल्ल्किार्जुन खड़गे ने कहा, “उन्होंने पेरियार की पंक्तियों को उद्धृत किया, जिस पर आप सहमत या असहमत हो सकते हैं, लेकिन उनके लिखित विचार यहां रखे गए हैं। यह उनका बयान नहीं है, उन्होंने केवल पेरियार की पंक्तियां उद्धृत की हैं। किसी को बोलने से रोकना सबसे अलोकतांत्रिक है। बोलने की आजादी में कटौती करना सत्तापक्ष की आदत है।”

इसके बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पार्टी का रुख साफ करते हुए कहा, ”द्रमुक सदस्य ने पेरियार के जिस उद्धरण का इस्तेमाल किया है, हम उसका समर्थन नहीं करते।”

दिन की शुरुआत में शाह द्वारा पेश किए गए दो जम्मू-कश्मीर विधेयकों पर चर्चा के आग्रह पर सदन में काफी देर तक हंगामा होता देखा गया।

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