Wednesday, November 6, 2024

श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर चौड़ी गली नई मंडी में आचार्य भगवन विद्या सागर महाराज की विनयांजलि सभा में उमड़ा जैन समाज

मुज़फ्फरनगर। श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर चोड़ी गली नई मंडी मुजफ्फरनगर में आचार्य भगवन विद्या सागर जी महाराज की विनयांजलि सभा रखी गयी जिसमे जैन समाज बड़ी संख्या में परिवार सहित उपस्थित होकर राष्टीय संत शिरोमणि श्री विद्या सागर जी महाराज को विनयांजलि दी। आज सुबह ही जैसे ही जैन समाज सूचना मिली सभी को गहरा आघात पहुँचा अधिकांश व्यापारियों में अपना प्रतिष्ठान तक बंद रखा राष्ट्रीय सन्त का देवलोकगमन हो जाना जैन समाज के बच्चे बच्चे के लिए अपूर्णीय क्षति है ।

मंदिर अध्य्क्ष अमित कुमार जैन एडवोकेट ने जानकारी देते हुए बताया कि राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में जैन आचार्य विद्यासागर महाराज ने 18 फरवरी 2024, रात्रि 02:35 बजे समाधि ली. दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज ने छत्तीसगढ़ के चन्द्रगिरि तीर्थ में शनिवार (17 फरवरी) देर रात 2:35 बजे अपना शरीर त्याग दिया था। पूर्ण जागृतावस्था में उन्होंने आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन का उपवास लिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था, जिसके बाद उन्होंने प्राण त्याग दिए, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आचार्य विद्यासागर महाराज कौन थे और पीएम मोदी इनके परम भक्त भी थे। आचार्य विद्यासागर महाराज एक अत्यंत श्रद्धेय दिगंबर जैन आचार्य हैं जो अपनी
असाधारण विद्वता, गहन आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और तपस्या और अनुशासन के जीवन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए पहचाने जाते थे. 10 अक्टूबर, 1946 को कर्नाटक के सदलगा में जन्मे, उन्होंने छोटी उम्र से ही आध्यात्मिकता को अपना लिया और साल की उम्र में राजस्थान के अजमेर में दीक्षा लेने के लिए सांसारिक जीवन त्याग दिया था। विद्यासागर का
बचपन का नाम विद्याधर था।

मंदिर में उपस्थित मधुबन जैन शास्त्री व प्रदुमन जैन शास्त्री ने बताया कि आचार्य विद्यासागर महाराज जैन शास्त्रों और दर्शन के अध्ययन और अभ्यास में गहराई से डूबे हुए थे। संस्कृत, प्राकृत और कई आधुनिक भाषाओं में उनकी महारत ने उन्हें कई व्यावहारिक कविताएं और आध्यात्मिक ग्रंथ लिखने में सक्षम बनाया था।

 

मंदिर कोषाध्यक्ष नवीन जैन, अभय जैन( कवाल वाले) ने बताया कि आचार्य भगवन विद्या सागर जी ने निरंजना शतक, भावना शतक, परिषह जया शतक, सुनीति शतक और श्रमण शतक सहित उनके व् का जैन समुदाय के भीतर व्यापक रूप से अध्ययन और सम्मान किया जाता था। उन्होंने काव्य मूक माटी की भी रचना की थी। जिसको कई संस्थानों में पोस्ट ग्रेजुएशन के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है। आचार्य विद्यासागर कई धार्मिक कार्यों में लोगों के लिए प्रेरणास्रोत भी रहे थे।

 

आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज को मंदिर में उपस्थित सभी ने विनयांजलि देते हुए गहरा दुःख प्रकट करते हुए अपने अपने भाव रखे। वियांजली सभा मे मुख्य रूप से मंदिर अध्यक्ष अमित कुमार जैन एडवोकेट, मंत्री अशोक जैन सराफ, कोषाध्यक्ष नवीन जैन(कवाल वाले),अभय जैन कवाल वाले, सिद्धान्त जैन कवाल वाले, मुकेश जैन खतौली वाले, अश्वनी जैन रार्धने वाले, मधुबन जैन शास्त्री , प्रदुमन जैन शास्त्री , सुधात्म जैन,ऋषभ जैन,मनोज जैन सराफ,रविन्द्र जैन,काफी संख्या में महिलाएं व पुरुष बच्चे उपस्थित रहे।

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