प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्धनगर में तीन वर्षों में पुलिस कर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत हुई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने पूछा है कि तीन सालों में कितने पुलिस कर्मियों के खिलाफ इस अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई है और कितनों को बिना नोटिस जारी किए हुए बर्खास्त किया गया है।
कोर्ट ने सुनवाई की अगली तिथि 12 मार्च को रिकार्ड के साथ सहायक पुलिस आयुक्त और मामले में जांच अधिकारी को उपस्थित रहने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने अंकित बालियान की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश का अनुपालन कराने के लिए निबंधक अनुपालन को भी निर्देशित किया है। कहा है कि वह तीन दिनों में इसकी सूचना सम्बंधित अधिकारियों को उपलब्ध करा दें।
याची गौतमबुद्धनगर के रबुपुरा थाने में बतौर सिपाही तैनात है। उसके खिलाफ बीटा-टू थाने में वसीम कबाड़ी से एक लाख रूपये घूस मांगने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज हुई है। घूस मांगने का वाट्सएप वायस रिकॉर्डिंग भी वायरल है। कबाड़ी ने इसकी शिकायत भी सीएम से की थी। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर याची के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और गौतमबुद्धनगर के पुलिस कमिश्नर ने उसे बर्खास्त कर दिया। निचली अदालत ने याची की अग्रिम जमानत खारिज कर दी तो उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
याची की ओर से कहा गया कि उसे झूठा फंसाया गया है। वायरल वीडियो फर्जी है। पुलिस कमिश्नर ने बिना कारण बताओ नोटिस जारी किए ही उसे बर्खास्त कर दिया। कोर्ट ने याची की दलीलों को सुनने के बाद अग्रिम जमानत मंजूर कर ली और गौतमबुद्धनगर में भ्रष्टाचार मामले में हुई कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट व्यक्तिगत हलफनामे पर तलब की है।