मोरना। परिवार नियोजन कार्यक्रम पर बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी दक्षता की कमी के मामले सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की खिल्ली उड़ाने के लिये काफी हैं। चिकित्सक की लापरवाही अथवा ढर्रा तकनीक सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के विश्वास को कमजोर कर देती हैं। ऐसा ही एक मामला भोपा के सरकारी अस्पताल से जुड़ा प्रकाश में आया है, जहां नसबंदी कराने के बाद महिला गर्भवती हो गयी। चार माह की गर्भवती महिला ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की गुहार लगाई है।
मोरना ब्लॉक क्षेत्र के गांव मजलिसपुर तौफिर निवासी महिला सोमवती ने बताया कि उसका परिवार बेहद गरीब है। पति-पत्नी मजदूरी कर परिवार की गुजर बसर करते हैं। उसके दो बच्चे हैं। अब दम्पत्ति कोई संतान नहीं चाहते थे। इसलिए उसके परिवार में सरकार द्वारा चलाई रही परिवार नियोजन योजना के अंतर्गत नसबंदी कराने का निर्णय लिया तथा भोपा स्वास्थ्य केंद्र पर आयोजित महिला नसबंदी कैंप में बीते वर्ष 24 जुलाई को नसबंदी कराई थी, लेकिन पिछले एक माह से उसकी तबीयत खराब चल रही थी, जब इस संबंध में महिला ने चिकित्सक से परामर्श लिया, तो चिकित्सक ने अल्ट्रासाउंड कराने को कहा।
अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में उसे चार माह की गर्भवती होना बताया गया, जिसे सुनकर वह हैरान रह गयी, इसके बाद उसने इसकी शिकायत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भोपा पर की, किन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई। तब से महिला लगातार अस्पताल के चक्कर लगा रही है। पीडि़ता ने स्वास्थ्य विभाग से बच्चों के भरण पोषण के हर्जाना दिये जाने की मांग करते हुए लापरवाह चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. अर्जुन सिंह ने बताया कि महिला नसबन्दी में अगर कोई कमी हुई है, तो महिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर जाकर अपनी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट व नसबंदी के कागजात लेकर पहुंचे, जहां फॉर्म जमा किया जायेगा व मुआवजे का प्रावधान है।