मेरठ। स्टेट जीएसटी की टीम ने रिसाइकिलिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के ठिकानों पर छापा मारकर जीएसटी से संबंधित दस्तावेजों की जांच की। बोगस फर्म और फर्जी ई वे बिल के जरिए जीएसटी में हेराफेरी के शक के आधार पर यह कार्रवाई की गई है।
ज्वाइंट कमिश्नर आरके त्रिपाठी ने बताया कि डाटा विश्लेषण के दौरान पता चला कि हसन मलिक रिसाइकिलिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बोगस फर्मों के जरिए कारोबार कर रही है। जिससे बड़ी जीएसटी चोरी की जा रही है। इसी शक के आधार पर एडीशनल कमिश्नर ग्रेड 2 आरपी मल्ल के निर्देश पर एसआईबी के ज्वाइंट कमिश्नर आरके त्रिपाठी, ज्वाइंट कमिश्नर मनीषा शुक्ला, डिप्टी कमिश्नर जितेंद्र आर्या, असिस्टेंट कमिश्नर विनय दुबे और अखिलेश मिश्रा के नेतृत्व में अन्य अधिकारियों के साथ टीम बनाकर संबंधित कंपनी के पीपलीखेड़ा स्थित फैक्टरी पर छापा मारकर दस्तावेजों की जांच की। मौके पर मौजूद सामान की सूची बनाई व उनसे संबंधित खरीदफरोख्त के दस्तावेज तलब किए।
जांच से पहले जीएसटी के अधिकारियों ने इस फर्म का विश्लेषण किया तो पाया कि कंपनी द्वारा बोगस फर्मों से सामान की खरीद की जा रही है। इसी के साथ आउटवर्ड ई वे बिल के परचेज और क्वांटम सेल में अंतर पाया गया। इसी आधार पर जांच की गई है। दस्तावेजों का मिलान करने के लिए कंपनी से फाइलें तलब की गई हैं।
जीएसटी अधिकारियों ने बताया कि इस कंपनी में बड़े पैमाने पर ई वेस्ट रिसाइकिलिंग का काम होता है। इसमें कबाड़ हो चुके इलेक्टि्रकल उपकरणों जैसे एसी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, कंप्यूटर के सामान, टीवी, मानीटर, माइक्रोवेव को रिसाइकिल किया जाता है। जीएसटी के अधिकारियों को यह भी शिकायत मिली थी कि जिन उपकरणों को रिसाइकिल करने के लिए विभिन्न फर्मों से खरीदा जाता है, उनमें से कुछ को रिअसेंबिल करके बिना जीएसटी के बाजार में दोबारा बेच दिया जाता है। इसकी भी तफ्तीश की जा रही है।
जीएसटी अधिकारियों ने बताया कि फर्म का सालाना टर्न ओवर 15 करोड़ रुपये से अधिक का है। यह फर्म काफी बड़ी है। जिन बोगस फर्मों के बारे में जानकारी मिली है, उसका हसन मलिक रिसाइकिलिंग कंपनी के दस्तावेजों से मिलान कराया जाएगा। कंपनी की ओर से जारी किए गए ई वे बिल की भी जांच की जा रही है। अगर जीएसटी चोरी पकड़ में आती है, तो फर्म सेे उसकी वसूली की जाएगी।