रायपुर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नशा मुक्त भारत अभियान के तहत नया रायपुर में रविवार को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के आंचलिक कार्यालय का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अमित शाह ने अफसरों से कहा कि ड्रग्स तस्करी की जांच साइंटिफिक तरीके से करें। टॉप टू बॉटम अप्रोच को अडॉप्ट करना पड़ेगा। एक दुकान में नशे की पुड़िया आई तो पता करना होगा कि देश में कहां से आई, कहां बनी। इसके नेटवर्क को ध्वस्त करना पड़ेगा।
छत्तीसगढ़ के तीन दिवसीय दौरे के अंतिम दिन उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2047 में जब देश की आजादी की शताब्दी मनाई जाएगी तब तक इस देश को नशे से मुक्त करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे यह संकल्प 140 करोड़ लोगों का संकल्प बनता जा रहा है। वे मानते हैं कि नशामुक्त भारत का संकल्प समृद्ध-सुरक्षित और वैभवशाली भारत के संकल्प के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। एक प्रकार से देखें तो नारकोटिक्स केवल भारत की समस्या नहीं है, वैश्विक समस्या है, भारत को सबसे ज्यादा जागरूक रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देश इस लड़ाई से हार चुके हैं। भारत में नारकोटिक्स के अवैध व्यापार से जो धन मिलता है वह धन आतंकवाद-नक्सलवाद को मजबूत करने के काम में भी आते हैं। युवा पीढ़ी को बर्बाद करने वाले ड्रग्स तस्करों पर लगाम लगेगी, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। यह युवा पीढ़ी को बर्बाद करने का तरीका है। हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ हम देश को नारकोटिक्स फ्री बनाएं। नशा मुक्त बनाएं। प्रधानमंत्री मोदी का जो संकल्प है उसे पूरा करें।
गृहमंत्री शाह ने कहा कि एनसीबी का यह नया आफिस पांच हजार वर्गफुट में फैला हुआ है जो नारकोटिक्स कंट्रोल के लिए अपने आप में कंप्लीट ऑफिस है। इसके अंदर प्रेस कॉन्फ्रेंस रूम समेत सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं। यह नारकोटिक्स कंट्रोल के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हमारा लक्ष्य है कि हर राज्य में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की स्थापना की जाएगी।
शाह ने कहा कि ड्रग ट्रैफिकिंग का ट्रेंड बदल रहा है। इसके तस्कर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, जितनी कम मात्रा में ड्रग्स आती है और सबसे ज्यादा नुकसान उसी से होता है। छत्तीसगढ़ में इसका उपयोग का प्रतिशत 1.1 है, जो सबसे ज्यादा है। एक प्रकार से छत्तीसगढ़ में गांजा की तस्करी आंध्र प्रदेश और ओडिशा की सीमा से होती है। छत्तीसगढ़ में गांजा के नशे का उपयोग 4 फीसदी है जो राष्ट्रीय औसत से 2.83 प्रतिशत ज्यादा है। यह हमारे लिए चिंता का विषय है। जब तक हम पूरी चेन को खत्म नहीं करते तब तक इसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त नहीं कर पाएंगे। कुछ लोगों को जद में लेकर नारकोटिक्स कंट्रोल नहीं कर सकते। उनके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए प्रयास होना चाहिए। ड्रग डिमांड डिडक्शन के लिए राष्ट्रीय कार्यालय के तहत यहां पर पुनर्वास केंद्र चल रहे हैं। छत्तीसगढ़ के चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी से अनुरोध है कि सातों पुनर्वास केंद्र के एप्लीकेशन पर ध्यान देना होगा। 14 नशा मुक्ति केंद्र राज्य सरकार भी चला रही है। सारे पुनर्वास और नशा मुक्ति केंद्रों को हमारे लड़ाई का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए।
एनसीबी के आंकड़े के हवाले से केंद्रीय गृहमंत्री ने बताया कि 10 साल में 22 हजार करोड़ के ड्रग्स सीज किए गए हैं। इसे रोकने के लिए मानस पोर्टल का उपयोग करना चाहिए। ज्वाइंट कोऑर्डिनेशन कमेटी का भी उपयोग करें। फंडिंग के सोर्स की जांच करके संपत्ति को जब्त करें। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा भी मौजूद रहे।
गृहमंत्री शाह ने एनसीबी कार्यालय के उद्घाटन के बाद छत्तीसगढ़ में मादक पदार्थों की स्थिति की समीक्षा की। गृहमंत्री ने क्षेत्रीय सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस के बीच समन्वय बढ़ाने और मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। बैठक में राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों और सुरक्षा बलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जहां उन्होंने मादक पदार्थों की तस्करी और इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की।