हर व्यक्ति अपने प्यार और साथी की एक छवि बनाकर रखता है और जीवन में जब भी कोई व्यक्ति उसे इस छवि से मिलता जुलता मिलता है तो वह उसकी ओर आकर्षित होने लगता है। दोनों ही एक दूसरे की पसंद नापसंद का ध्यान रखते हैं और बेहद करीब आ जाते हैं।
समय बीतने के साथ ही औपचारिकताएं खत्म होने लगती हैं और दोनों खुलकर एक दूसरे के सामने आने लगते हैं। फिर एक दिन जब अपने साथी की किसी ऐसी आदत, मानसिकता, व्यवहार या कुंठा आदि से अचानक रूबरू होते हैं जिनकी आपने अपेक्षा नहीं की थी तो आप हतप्रभ से रह जाते हैं। इस वक्त आप बड़ी मुश्किल से अपनी नफरत छुपा पाते हैं।
आप उससे दूर होने की सोचने लगते हैं पर हो नहीं पाते हैं क्योंकि उस एक कमजोरी के अलावा उसकी बाकी शख्सियत आपको अच्छी लगती है। उसका साथ अच्छा लगता है। ऐसे में उस प्यार को कैसे बरकरार रखा जाए? अपने प्यार करने वालों की कमजोरियों को समझते हुए उन्हें स्वीकार करना भी प्यार का मंत्र है।
जीवन के हर पहलू में हम एक आदर्श स्थिति को मापदंड बनाकर चलते हैं। उस धरातल पर जब कुछ खरा नहीं उतरता तो हमें बड़ी निराशा मिलती है और हम उसके आलोचक बन जाते हैं।
जीवन का कौन सा ऐसा क्षेत्र है जहां हमें शिकायत नहीं रहती? मां-बाप से लेकर बच्चे, यार, दोस्त हर किसी में हमें नुक्स दिखते हैं किंतु हम इसके बावजूद काम चलाना सीख जाते हैं। दरअसल उनकी कमजोरियों को अनदेखा कर हम उनके साथ खुश होने के रास्ते ढूंढ लेते हैं।
सच तो यह है कि जिस प्रकार दूसरे हमें परिपूर्ण नहीं लगते, उसी प्रकार हम भी दूसरों के लिए आदर्श नहीं हो सकते। दोनों ही इस सच्चाई को स्वीकार करते हुए आगे चलते हैं तो प्यार की गाड़ी सुचारू रूप से चलती जाती है अन्यथा एक दूसरे की कमियां गिनाने का सिलसिला चल पड़ता है। यह बताने की जरूरत नहीं कि दूसरे की कमियां बताना अपने आपमें एक कमजोरी व कमी है। इस तू तू मैं मैं, का अंजाम क्या होता है, यह हम सभी जानते हैं।
अगर सब्र और समझदारी से काम लें तो यह मनोदशा थोड़े ही दिनों में सुधर सकती है। हो सकता है सामने वालों के पूर्वाग्रह आपके अन्य विचारों के कारण धीरे-धीरे समाप्त या कम हो जाएं। हम हर रोज ही जीना सीखते हैं। कई लोग बिलकुल ही अव्यवस्थित होते हैं तो कुछ जरूरत से ज्यादा ही व्यवस्थित होते हैं। कोई खूब फिजूलखर्च होता है तो कोई बिलकुल कंजूस। कोई सेहत को लेकर बेहद जागरूक है तो कोई बेइंतहा लापरवाह है।
कोई व्यावहारिक है तो कोई अति भावुक एवं संवेदनशील पर ये सारी खूबियां या कमियां ऐसी नहीं हैं कि इनके लिए बहुत ज्यादा हाय तौबा मचाई जाए।
कमजोरियों का उलाहना देने के बजाय उन्हें स्वीकार करते हुए मुस्कराते हुए रिश्ते को निभाना बहुत ही अच्छा प्यार का मंत्र है। सोचिए और अपने महत्वपूर्ण जीवन को खुशियों से भरिये।
-जे.के. शास्त्री