प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के मेडिकल कॉलेजों में सीसीटीवी कैमरा, बॉयोमैट्रिक सिस्टम और हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम के बारे में जानकारी मांगी है। कोर्ट ने जुलाई में होने वाली सुनवाई की तिथि तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह जादौन की खंडपीठ ने मुनेश चंद्र की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। सुनवाई शुरू होते ही याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडेय ने बंदायूं मेडिकल कॉलेज की स्थिति से कोर्ट को अवगत कराया।
उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने मेडिकल कॉलेज स्थापित किया है लेकिन न तो वहां डॉक्टर हैं और न ही प्रोफेसर। छात्रों की भी सही तरीके से मॉनिटरिंग नहीं हो रही है। मरीजों को सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जा रहा है। दूर होने के कारण कई मरीजों की मौत हो गई।
इस पर कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता से जवाब मांगा। पूछा कि बंदायूं मेडिकल कॉलेज में कितने सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। कितने शिक्षकों की तैनाती है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम कैसे काम कर रहा है। इस पर सरकारी अधिवक्ता जवाब नहीं दे पाए। कोर्ट ने कहा कि जब आप नेशनल मेडिकल कमिशन के मानकों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो कैसे मान्यता मिली है।
याची के अधिवक्ता ने बंदायूं के साथ इलाहाबाद के साथ प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेजों का भी हवाला दिया। कहा कि मेडिकल कॉलेजों की व्यवस्था सही नहीं है। कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता से कहा कि यहां तो एक ही शिक्षक कई मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाते हैं। नाम उनका चलता रहता है। जब नेशनल मेडिकल कमिशन जांच करता होगा तो उस समय उपस्थित हो जाते होंगे बाकी फिर वहीं हालत हो जाती है। कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता से यूपी के सभी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों, सीसीटीवी कैमरों, बॉयोमेडिकल सिस्टम और हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम का रिकॉर्ड प्रस्तुत करने को कहा है।