नोएडा। गंभीर बीमारी के विरुद्ध समाज को सशक्त बनाने के मकसद से दिल्ली एनसीआर के डाॅक्टरों द्वारा आईएससीसीएम (इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन) के बैनर तले रविवार को चिल्ला स्पोर्टस काॅम्प्लेक्स दिल्ली से सेक्टर-21ए स्थित नोएडा स्टेडियम तक वार्षिक वॉकथॉन ’मार्च-ऑन-फुट’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न अस्पतालों के सैकड़ों डाॅक्टर शामिल हुए।
वॉकथॉन ’मार्च-ऑन-फुट’ का गौतमबुद्व नगर के सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. महेश शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह पदयात्रा (वॉकथॉन) इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (आईएससीसीएम) के स्थापना दिवस की वर्षगांठ के समारोह में निकाली गई। इसका आयोजन हर साल किया जाता है। संस्था के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत सक्सेना, सचिव डॉ. अखिल तनेजा तथा कोषाध्यक्ष डॉ. अमित गोयल ने इस मौके पर कैलाश अस्पताल में एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर के समूह निदेशक डॉ. अनिल गुरनानी का हार्दिक आभार व्यक्त किया।
जिनके नेतृत्व और समर्पण ने इस आयोजन की योजना और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि गंभीर बीमारी के विरुद्ध समाज को सशक्त बनाने के मकसद से गहन देखभाल विशेषज्ञों द्वारा यह एक अनोखी पहल है। उन्होंने कहा कि वार्षिक वॉकथॉन में दिल्ली और नोएडा के विभिन्न अस्पतालों से जुड़े गहन देखभाल चिकित्सकों द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 383 से अधिक डॉक्टर शामिल हुए है।
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि वॉकथॉन का विषय ’गंभीर बीमारी के खिलाफ समाज को सशक्त बनाना’ था। इसका उद्देश्य गंभीर बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और जीवन बचाने में गहन विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना रहा। उन्होंने कहा कि अपने पेशे में कड़ी मेहनत और बड़प्पन के बावजूद, गहन देखभाल चिकित्सकों को आम तौर पर जनता के क्रोध का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में डॉक्टरों, विशेषकर गहन चिकित्सा इकाइयों (आईसीयू) में काम करने वालों के खिलाफ हिंसा में चिंताजनक वृद्धि हुई है।
गहन देखभाल विशेषज्ञों का मानना है कि वे आसान लक्ष्य बन गए हैं। उन्होंने कहा कि समुदाय में गंभीर परिस्थितियों और जीवन बचाने के लिए आवश्यक तत्काल प्रतिक्रियाओं के बारे में जानकारी की काफी कमी है। उन्होंने कहा कि गंभीर बीमारियों और गहन देखभाल टीम की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए समाज में इस तरह के आयोजन जरूरी है।
उन्होंने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य और जुड़ाव को बढ़ावा देते हुए इस पदयात्रा में लगभग 383 डॉक्टरों ने भाग लिया और जो शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। यह आयोजन स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के एकजुट होने का प्रतीक रहा।