तमसो मा ज्योतिर्गमय’ भगवान से प्रार्थना की जाती है कि मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चल। निश्चय ही अंधकार किसी को भी पसंद नहीं, सभी प्रकाश को प्रसंद करते हैं, क्योंकि उसे प्रकाश के साथ मंजिल पाने पर एक अद्भुत नवीन और खूबसूरत अनुभूति होती है। प्रकाश के स्रोत दीपक को आत्मा, ज्ञान और ब्रह्म का प्रतीक माना गया है। यह आध्यात्मिक, भौतिक, आनन्द और प्रगति का भी द्योतक है, दीपक की ज्योति मन के आध्यात्म को आलोकित करती है, उसे नई दिशा दिखाती है। यदि हमारी आत्मा आन्तरिक रूप से शुद्ध और स्वच्छ होकर जागृत हो उठती है तो हमारा शरीर भी स्वच्छता, सत्य, परोपकार, करूणा और प्रेम का साथ पाकर चमक उठता है। शान्ति के साथ रहने वाले व्यक्ति का चेहरा तेज से प्रदीप्त हो उठता है और यह अन्य लोगों को भी मार्ग दिखाता है। इससे उसके सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों का जीवन भी संवर जाता है। बाहर दीप जलाने से बाहर का अंधकार दूर होता है, जबकि व्यक्तित्व को निखारने से मनुष्य का अन्तस आलोकित हो जाता है।