Monday, December 23, 2024

मुजफ्फरनगर परिवार न्यायालय का आदेश, 6 वर्षीय नाबालिग की कस्टडी पिता को सौंपी

मुज़फ्फरनगर। अपर प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय कोर्ट नंबर 2 मुजफ्फरनगर के द्वारा 6 वर्षीय बालिका की कस्टडी उसके नाना से उसके पिता के सुपुर्द करने का ऐतिहासिक निर्णय पारित किया है। जनपद ग़ाज़ियाबाद निवासी कुशाग्र गर्ग का विवाह वर्ष 2015 मैं जनपद मुज़फ्फरनगर निवासी सुदेश गर्ग की पुत्री आयुषी गर्ग के साथ हुआ था शादी के उपरांत 2016 में आयुषी ने पुत्री कु0 तानसी को जन्म दिया था। तथा वर्ष 2018 में दूसरी पुत्री कु0 भविका को जन्म दिया।

 

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नाबालिग भाविका को जन्म देने के पश्चात 5-6 दिन पश्चात ही उसकी माता आयुषी गर्ग की अस्पताल में मृत्यु हो गयी तथा बच्चे के जीवन पर दुष्प्रभाव ना पड़े इसका हवाला देते हुए नाना सुदेश गर्ग बच्ची को अपने साथ ले गये थे। परंतु उसके पिता कुशाग्र गर्ग व उसके परिवार वालो ने कभी भी सपने में भी नही सोचा था कि नाना सुदेश गर्ग सोची समझी चाल के तहत उसकी बेटी को ले जा रहे है।

 

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उसका पिता अनेको बार अनेको बार अपनी सुसराल अपनी पुत्री के पास अपनी बेटी को लेने गया लेकिन शुरू में सुदेश गर्ग कुछ ना कुछ बहाना करके उसके पिता से कह देते थे कि कुछ दिन बाद बेटी को ले जाना दूसरी पुत्री पिता के साथ रह रही है तथा उसके पिता द्वारा उसके रहन सहन की उचित व्यवस्था की हुई है। शिक्षा हेतु उसे शहर की नामी स्कूल Stanfort School Nehru Nagar Ghaziabad में दाखिला करवाया हुआ है। पिता कुशाग्र गर्ग का परिवार अत्यधिक बडा है एवं ससुर सुदेश गर्ग लालच के वशीभूत होकर उसकी पुत्री को अपनी अवैध अभिरक्षा मे रखे हुए है, जिसका उन्हें कोई अधिकार किसी प्रकार का नहीं है।

 

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दिनाक 07.07.2019 को अपनी दोनों बेटियों के लालन पालन को ध्यान में रखते हुए अपने पूरे परिवार की सहमति से दूसरा विवाह कर लिया है तथा श्रीमती अंजली गुप्ता दोनी बेटियों की देखभाल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है तथा बड़ी बेटी की देखभाल पूरी जिम्मेदारी के शाथ कर रही है।नाबालिग माविका जोकि अभी एक वर्ष की भी नही हुई है तथा जन्म के समय ही माता की मृत्यु हो जाने के कारण माता के लाड प्यार से वंचित हो गयी, उसे अब माता-पिता के स्नेह व प्रेम की आवश्यकता है व उसका सही पालन पोषण कर उसके उज्जवल भविष्य के लिए कार्य करेग। अपनी पुत्री की कस्टडी के लिए न्यायालय में याचीका दायर की। सुदेश गर्ग के द्वारा न्यायालय में नाबालिग भविका के स्कूल सर्टिफिकेट एम0जी0 वर्ड विजन स्कूल मुज़फ्फरनगर के दाखिल किए नाबालिग भविका के पिता कुषार्ग गर्ग के वरिष्ठ अधिवक्ता अमित कुमार जैन द्वारा नाना सुदेश गर्ग से जिरह की गई तथा पिता की और से ठोस साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत किये गये।

 

 

 

 

जिनका न्यायालय के द्वारा गहनता से अवलोकन किया गया, जिनमें सुदेश गर्ग के द्वारा उसके पिता कुशाग्र गर्ग के नाम की जगह अपना नाम व माता के नाम की जगह अपनी पत्नी का नाम स्कूल अभिलेखों में चढ़ाया गया है, जिसका सुदेश गर्ग को कोई अधिकार प्राप्त नही है तथा नाना सुदेश गर्ग पिछले 25 वर्षों से शुगर एवं बीपी का मरीज है एवं उनकी पत्नी भी शुगर इत्यादि की मरीज हैं एवं सुदेश गर्ग का लड़का भी वर्तमान में अविवाहित हैं जिससे आगे चल कर भविका का भविष्य खराब हो सकता है, जिसकी सुनवाई अपर प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय कोड नंबर 2 मुजफ्फरनगर की पीठासीन अधिकारी श्रीमती रीमा मल्होत्रा के द्वारा की गई और उनके द्वारा यह ऐतिहासिक निर्णय पारित किया गया यह एक ऐसा निर्णय है जो मुजफ्फरनगर न्यायालय में अभी तक सुनने में नहीं आया है। श्रीमती रीमा मल्होत्रा एक ईमानदार छवि वाली मेहनती न्यायाधीश के रूप में जानी जाती हैं। जिन्होंने परिवार न्यायालय में अनेको आदेश पारित कर पीड़ितों को न्याय दिया है। इसी क्रम इस मामले में भी श्रीमति रीमा मल्होत्रा पीठासीन अधिकारी के द्वारा अवयस्क कु० भाविका जोकि नाना सुदेश कुमार गर्ग के साथ निवास कर रही है तथा कु० तानसी जो कि पिता की अभिरक्षा में है, दिनांक 01.08.2024 को न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुई। दोनों पुत्रियों से व्यक्तिगत रूप से विश्राम कक्ष में वार्ता की गई।

 

 

 

 

इस वार्ता में कु० भाविका द्वारा इस तथ्य से अवगत कराया गया कि उसकी एक बड़ी बहन जिसका नाम तानसी है, वह पापा के साथ निवास करती है। दोनों पुत्रियों को विश्राम कक्ष में एक दूसरे से मिलवाया गया तथा दोनों एक दूसरे से मिलकर अत्यधिक प्रफुल्लित थी। अवयस्क भाविका द्वारा अपनी बहन के साथ निवास करने की रूची व लालसा व्यक्त की गई। कु० तानसी व अपने पिता के कुशाग्र के साथ भविष्य में निवास करने के साथ ही अवयस्क भाविका ने यह भी कथन किया कि वह अपने नाना के साथ भी रहना चाहती है। उल्लेखनीय है कि अवयस्क भाविका जन्म के पश्चात से ही अपने नाना नानी के साथ रहती आयी हैं। वह मात्र 6 वर्ष की आयु की हैं, जोकि पूर्ण रूप से नाना सुदेश के प्रभाव में ही होंगी।

 

 

 

 

अर्थात अवयस्क भाविका का अपने नाना के प्रभाव में होने के तथ्य से इन्कार नही किया जा सकता। अवयस्क भाविका की आयु के दृष्टिगत अपने हित व कल्याण हेतु उचित व अनुचित का चुनाव नहीं कर पाना सम्भव है। कुशाग्र की द्वितीय पत्नी अंजलि भी उपस्थित हुई। कुमारी तानसी से श्रीमती अंजिली के सम्बन्ध में अवयस्क तानसी को मां के द्वारा प्रेम, वात्सलय, देखरेख व शिक्षा थ अच्छा व्यवहार देने में प्रश्न किये जाने पर उसके द्वारा श्रीमती अंजलि के सम्बन्ध में यह बताया गया कि वह कु० तानसी से बहुत प्रेम करती हैं और उसे पढ़ाती हैं और उसकी अच्छे से देखभाल करती हैं। ऐसी परिस्थिति में सुदेश का यह कथन की श्रीमती अंजलि कु० तानसी से दुर्व्यवहार करती है, खण्डित हो जाता है।

 

 

 

इस प्रकार न्यायालय के गहन अध्ययन करते हुए 3 दिसंबर 2024 को न्याय संगत निर्णय जोकि 28 पेज का जजमेंट पारित करते हुए पिता कुषार्ग गर्ग व उसकी नाबालिग भविका को न्याय दिया है तथा नाबालिग कु भविका के कल्याण व हित व भविष्य के लिए पिता कुषार्ग गर्ग की याचिका स्वीकार करते हुए नाना सुदेश गर्ग को आदेशित किया कि वह इस आदेश के एक माह के अन्दर अवयस्क भाविका को कुशाग्र गर्ग की अभिरक्षा में सुपुर्द करना सुनिश्चित करेंगे। सुदेश गर्ग द्वारा आदेश का अनुपालन नहीं करने की दशा में कुशाग्र गर्ग जरिये अदालत अवयस्क की अभिरक्षा प्राप्त करने का अधिकारी होगा।

 

 

 

कुशाग्र गर्ग अवयस्क कु० भाविका के शैक्षणिक सत्रावसान तक अवयस्क के अध्ययन में कोई बाधा उत्पन्न न हो इसके लिए उचित प्रबन्ध करेगा। कुशाग्र गर्ग इस आशय की अण्डरटेकिंग प्रस्तुत करेंगे कि वह अवयस्क कु० भाविका के हित के प्रतिकूल कोई कार्य नहीं करेगा और अवयस्क के शिक्षा, स्वास्थ्य आदि का सर्वोत्तम प्रबंध करेगा तथा महत्वपूर्ण अवसरों तथा त्योहार, जन्मदिन आदि सहित अवयस्क की इच्छानुसार नाना सुदेश गर्ग से भेंट व बातचीत करने का पर्याप्त अवसर प्रदान करेगा। उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। नाबालिक कुमारी भविका के पिता कुषार्ग गर्ग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित कुमार जैन के द्वारा जबरदस्त पैरवी की गई तथा नाना सुदेश गर्ग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तेग बहादुर सैनी के द्वारा पैरवी की गई।

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