Sunday, December 15, 2024

दिल्ली हाईकोर्ट ने UGC-NET याचिका पर नोटिस जारी किया, अधिवक्ता उज्जवल गौड़ ने दायर की याचिका

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण याचिका में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) को नोटिस जारी किया है।

 

 

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भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर इस याचिका में हालिया UGC-NET परीक्षा चक्र से संबंधित गंभीर चिंताओं को उठाया गया है। याचिका में प्रणालीगत सुधारों की मांग की गई है, जिसमें मुख्य मुद्दे निम्नलिखित हैं:

 

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1.असंगत सामान्यीकरण प्रक्रिया: स्कोर सामान्यीकरण में विसंगतियों को ठीक करने और सभी उम्मीदवारों के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी परिणाम प्रकाशित करने की मांग।

 

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2.आरक्षण नीति का कार्यान्वयन: ओबीसी, एससी और एसटी श्रेणियों के लिए संविधान द्वारा निर्धारित आरक्षण कोटा का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना और जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) स्लॉट्स का न्यायसंगत वितरण।

 

 

 

 

 

3.भाषाई समानता: प्रश्न पत्रों में विसंगतियों के मामलों में अंग्रेजी को हिंदी पर प्राथमिकता देने वाले भेदभावपूर्ण प्रावधानों में संशोधन, ताकि हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों को समान रूप से न्याय मिले।

 

 

4.परीक्षा सुधार: UGC-NET को एक ही शिफ्ट में आयोजित करने का प्रस्ताव, जिससे स्कोर असमानताओं को समाप्त किया जा सके और प्रश्न पत्र में त्रुटियों को चुनौती देने के लिए शुल्क को किफायती बनाया जा सके।

 

 

5.पारदर्शिता और जवाबदेही: सामान्यीकरण फार्मूलों, कट-ऑफ मानदंडों और प्रश्न चयन प्रक्रियाओं के सार्वजनिक प्रकटीकरण की मांग, ताकि परीक्षा प्रक्रिया में विश्वास बहाल हो सके।

 

 

6.संरचनात्मक सुधार: प्रतियोगी परीक्षाओं में तकनीकी शिकायतों को स्वतंत्र रूप से संबोधित करने के लिए एक राष्ट्रीय परीक्षा ट्रिब्यूनल की स्थापना।

 

 

अधिवक्ता उज्जवल गौड़ की याचिका भारत की शिक्षा प्रणाली में न्याय, समानता और पारदर्शिता के सिद्धांतों को बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। इस मामले पर बात करते हुए गौड़ ने कहा, “यह केवल एक परीक्षा की बात नहीं है; यह उन हजारों उम्मीदवारों के न्याय की लड़ाई है जिनका भविष्य इन परिणामों पर निर्भर करता है। मौजूदा प्रणाली को संविधान के मूल्यों के अनुरूप तत्काल सुधार की आवश्यकता है।”

 

 

 

 

 

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा प्रतिवादियों को नोटिस जारी करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उन्हें इन गंभीर मुद्दों को संबोधित करने के लिए बाध्य करता है। इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2024 में निर्धारित की गई है, जो देशभर के लाखों NET JRF छात्रों के लिए न्याय की लड़ाई में एक अहम चरण को चिह्नित करती है।

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