मुजफ्फरनगर। सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने मुजफ्फरनगर में आयोजित निरंकारी संत समागम में आए उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि मन में एक निराकार का भाव करके सत्संग से जुड़कर हर समय परमात्मा को याद करना है। यह संदेश हर युग में पीर पैगम्बरो द्वारा दिया गया है ।जीवन में प्रीत, नम्रता, सहनशीलता, करुणा के विस्तार का भाव होना चाहिए।
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सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि संसार में हम मानव के रूप में पैदा हुए हैं तो मानवीय गुण को अपनाएं और यथार्थ मानव बन कर जीवन जिये। यह उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने मुजफ्फरनगर के स्थानीय राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में एक दिवसीय निरंकारी संत समागम में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि छोटी सी बात भी मन पर बड़ा असर करती है, पीड़ा देती है, लेकिन जहां निराकार है, इस पर विश्वास है, तो मन में पवित्र भाव रहते हैं। तो हम आदर सत्कार भी करते जाएं, औरों के लिए जीवन जिए। ब्रह्म ज्ञान जहां नहीं पहुंचा वहां तक भी पहुंचे, मुक्ति का साधन ब्रह्मज्ञान है। परमात्मा जिस पल में जीवन में आ गया तो एक सच्चे मायने में बंधनों से छुटकारा मिल जाता है, यही मुक्ति है।
उन्होंने कहा कि सेवा सिमरन सत्संग और संतों के वचन सुनने से मानव के अंदर मानवता की सेवा का भाव आता है और यहां नित्नस्वार्थ सेवा ही उसके इस जीवन को भी सुखदाई बनाती है और भक्ति मे दृढ़ता लाती है। इस संत समागम में निरंकारी राजपिता रमित का भी पावन आशीर्वाद प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में सहारनपुर जोन के जोनल इंचार्ज कुलभूषण चौधरी, संयोजक हरीश कुमार एवं सैकड़ों सेवादारों ने उपस्थित रहकर अपनी सेवाओं को समर्पित किया।