प्रयागराज। भाजपा नेता डा. सुब्रमण्यम स्वामी ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के 2017 के उस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें सरकार द्वारा राज्य के मंदिरों से जुड़े मेलों और त्योहारों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का निर्णय लिया गया है।
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आज केस की सुनवाई के दौरान स्वामी के अधिवक्ता के अनुरोध पर चीफ जस्टिस अरुण भंसाली एवं जस्टिस विकास बुधवार की खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई 17 जनवरी तक के लिए टाल दी। कोर्ट इस याचिका पर अब अगले साल 17 जनवरी को सुनवाई करेगा।
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याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार की 18 सितंबर 2017 की अधिसूचना और 3 नवंबर 2017 के परिणामी आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि यह अधिसूचना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 31-ए का उल्लंघन करती है। यूपी सरकार मनमाने, असंवैधानिक और अवैध तरीके से मंदिरों और उनके धार्मिक समारोहों के प्रशासन, प्रबंधन और नियंत्रण को अपने हाथ में लेने का प्रयास कर रही है।
जनहित याचिका में राज्य सरकार को उत्तर प्रदेश राज्य में मंदिरों के मेलों और त्योहारों को सरकारी मेला घोषित करने या उनका नियंत्रण अपने हाथ में लेने से स्थायी रूप से रोकने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। आक्षेपित अधिसूचना/आदेश के अंतर्गत माँ ललिता देवी शक्तिपीठ, नैमिषारण्य, जिला सीतापुर, माँ विंध्यवासिनी शक्तिपीठ, जिला मिर्ज़ापुर, माँ पाटेश्वरी शक्तिपीठ, देवीपाटन तुलसीपुर जिला बलरामपुर एवं शाकुंभरी माता मंदिर, जिला सहारनपुर में आयोजित होने
वाले मेलों के संबंध में राजकीय/सरकारी मेला घोषित किया गया है। हर साल नवरात्रि के दौरान इन मेलों में लाखों श्रद्धालु आते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन मेलों को सरकारी आयोजन घोषित करने के अपने फैसले को उचित ठहराते हुए कहा है कि इससे जिला प्रशासन को श्रद्धालुओं के लिए ज़रूरी सुविधाएं मुहैया कराने में मदद मिलेगी। इसके अलावा सरकार का लक्ष्य इन मेलों को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर लाना है।