नई दिल्ली। नया साल मुसलमानों को नहीं मनाने को लेकर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी की तरफ से जारी फतवे पर रजा अकेडमी के अध्यक्ष सईद नूरी ने सोमवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को शरीयत के दायरे में ही पूरी जिंदगी गुजारनी है।
सईद नूरी ने कहा, “नए साल पर नाच-गाने, शराब और मर्द-औरत का मिलना होता है। शरीयत में जो चीज नाजायज हो, वो 31 दिसंबर हो या कोई और दिन हो, वो नाजायज ही रहेगी। जहां तक मुबारकबाद देने की बात है, वो दी जा सकती है, इसमें किसी मजहब की पैरवी नहीं की जा सकती, बल्कि नया साल आ रहा है, जिसके लिए दुआ की जाती है कि आने वाला साल लोगों के लिए अच्छे से गुजरे, सभी तरक्की करें और खुश रहें।” बरेली के मौलाना के मुसलमानों को नया साल नहीं मनाने के फतवे पर सईद नूरी ने कहा, “अभी मैंने सुना नहीं है कि उन्होंने क्या कहा है।
“उन्होंने फतवा जारी करने की आलोचना होने पर कहा, “बोलने वाले कुछ भी बोलेंगे, मुसलमानों पर पहले भी शरीयत का पाबंद था और आज भी शरीयत का पाबंद है और हमेशा रहेगा। हमको शरीयत के दायरे में ही अपनी जिंदगी गुजारनी है। पूरी जिंदगी शरीयत के पाबंदी के तहत ही लोगों को खाना-पीना और कमाना है।” उन्होंने आगे कहा, “नए साल पर क्या होता है, यह सबको पता है। 31 दिसंबर को शराब, नाच-गाना आम बात हो जाती है। कौन सी ऐसी बुराई है, जो उस दिन लोग नहीं करते हैं। ऐसे में उस बुराई से रोकना हमारा मकसद है कि वो ये बुराई नहीं करें।
“उल्लेखनीय है कि नए साल से पहले बरेली के चश्मे दारुल इफ्ता और मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने रविवार को वीडियो के जरिए विवादित बयान दिया था। उन्होंने नए साल के जश्न में शामिल होने और बधाई देने के खिलाफ फतवा जारी किया। उन्होंने मुसलमानों को ऐसा नहीं करने की हिदायत देते हुए कहा कि ऐसा करने वाले शरीयत की नजर में मुजरिम हैं। मुसलमान ऐसा काम हरगिज नहीं करें।