मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने एक देश, एक चुनाव विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। उनका कहना है कि यह विधेयक एक पार्टी, एक नेता और एक चुनाव की अवधारणा को बढ़ावा देगा, जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा।
संजय राउत ने कहा कि विपक्षी गठबंधन इंडिया (I.N.D.I.A) के सभी सदस्य इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में सक्रिय रूप से भाग लेने की बात कही है। यह विधेयक जेपीसी को भेज दिया गया है, जिसकी पहली बैठक आज हुई।
जेपीसी के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि समिति इस विधेयक की निष्पक्ष जांच करेगी और हर पक्ष की बात सुनेगी। पहले दिन संबंधित मंत्रालयों ने विधेयक पर जानकारी दी। जेपीसी में कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, टीएमसी के कल्याण बनर्जी, और भाजपा के अनुराग ठाकुर और बांसुरी स्वराज सहित कई प्रमुख सदस्य शामिल हैं।
संजय राउत ने अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी पर शरद पवार गुट में दलबदल कराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अजित पवार के गुट ने एनसीपी (शरद) के नेताओं को केंद्र में मंत्री पद देने का वादा किया है।
राउत ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को इस काम के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने दावा किया कि जब तक शरद पवार के गुट के सांसद और विधायक अजित पवार गुट में शामिल नहीं होंगे, तब तक केंद्र सरकार एनसीपी को कोई पद नहीं देगी।
एनसीपी (शरद) के विधायक और पूर्व मंत्री जितेंद्र अवहाद ने भी आरोप लगाया कि सुनील तटकरे ने उनकी पार्टी के लोकसभा सांसदों को पक्ष बदलने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि तटकरे खुद नहीं चाहते कि दोनों पवार गुट फिर से एकजुट हों।
राउत ने कहा कि एनसीपी का यह कथित दलबदल भाजपा के सहयोगी और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार पर दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है। इसके जरिए यह संदेश दिया जा रहा है कि केंद्र सरकार को अन्य दलों से भी समर्थन मिल सकता है।