युद्ध के समय सूरमा उसे कहा जाता है जो रणभूमि से भागता नहीं। शत्रु के परास्त होने तक युद्ध करता है वह प्राणों की बाजी लगा देता है। शत्रु की शक्ति और पराक्रम के सामने जो युद्ध भूमि से पलायन कर जाता है, उसे कायर और भगोडे की संज्ञा दी जाती है, किन्तु सच्चा सूरमा वह है, जो सचा धर्म युद्ध करता है। इस धर्म युद्ध में अंग-अंग कटवा लेता है, किन्तु खेत नहीं छोडता। सच्चा धर्म युद्ध और सच्ची रणभूमि हमारे भीतर है। मन पर विजय प्राप्त करके आत्मा को परमात्मा में लीन करना ही सच्चा धर्म युद्ध है। सच्चा सूरमा वह है, जो वीरता के साथ बाहर के संसार में जाने वाले मन को भीतर वापिस लाये उस पर काबू रखे। ऐसे सूरमा के सिर पर ही विजय का छत्र झूलता है। मन का वेग इतना प्रबल है कि उसके सामने खडे होना बहुत कठिन कार्य है। कुछ बिरले शूरवीर योद्धा ही इस वेग के प्रवाह को सहन कर सकते हैं। प्राय: देखा गया है कि जिन योद्धाओं के पराक्रम के सामने शत्रु थर-थर कांपते हैं वे अपने मन से ही परास्त हो जाते हैं। सच्चे धर्म युद्ध के तो वे भगोडे ही सिद्ध होते हैं।