मुज़फ्फरनगर। उत्तर प्रदेश सरकार का बजट सत्र आज से शुरू होने जा रहा है, लेकिन उससे पहले एक अहम फैसला लिया गया है। यूपी सरकार ने गन्ने के मूल्य में वृद्धि से जुड़े प्रस्ताव को केबिनेट बाई सरकुलेशन के माध्यम से खारिज कर दिया है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब पिछले चार महीनों से गन्ने के भाव में वृद्धि की उम्मीद लगाए किसान इसके लिए इंतजार कर रहे थे। इस फैसले के बाद किसानों में निराशा का माहौल है और उनकी उम्मीदें टूट गई हैं।
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किसान नेताओं ने इस फैसले पर कड़ा विरोध व्यक्त किया है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने यूपी सरकार के इस कदम को तानाशाही करार देते हुए आरोप लगाया है कि सरकार का मुख्य एजेंडा केवल व्यापारियों के लाभ के लिए काम करना है। टिकैत ने बताया कि सरकार के फैसले से किसानों की उम्मीदें पूरी तरह टूट गई हैं। गन्ने के भाव में वृद्धि नहीं होगी, यही सरकार का निर्णय है। अब किसान को खुद ही सोचने की जरूरत है, वे एकजुट होकर अपनी आवाज उठाएं।”
टिकैत ने बताया कि चीनी महंगी हो रही है, महंगाई बढ़ रही है, लेकिन फसलों के भाव नहीं बढ़ाए जा रहे हैं। अगर गन्ने का मूल्य अगले साल तक नहीं बढ़ेगा, तो सरकार को पहले ही घोषणा कर दे कि गन्ने का रेट बढ़ेगा या नहीं। किसानों को अब खुद ही सोचना पड़ेगा कि वे दूसरी फसलों की तरफ रुख करें।”
किसान नेताओं का मानना है कि सरकार द्वारा गन्ने का मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर देने की बात की गई थी, लेकिन यह वादा भी पूरा नहीं हुआ। टिकैत ने बताया कि “हमने इस मुद्दे को उठाने के लिए उत्तर प्रदेश में 11 मीटिंग्स की हैं, और अब पूरे देश भर में हम सरकारों की गलत नीतियों को उजागर करेंगे।”