Friday, May 2, 2025

उदयपुर के कन्हैयालाल के परिवार ने गाजियाबाद डासना मंदिर में लिया यति नरसिंहानंद का आशीर्वाद

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित ऐतिहासिक डासना देवी मंदिर एक बार फिर चर्चा में है। इस बार कारण बना उदयपुर के दिवंगत कन्हैयालाल का परिवार, जो विशेष रूप से महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती का आशीर्वाद लेने मंदिर पहुंचा। इस भावुक मौके पर उनके साथ फिल्म निर्देशक अमित जानी भी मौजूद थे, जो कन्हैयालाल के जीवन पर आधारित फिल्म ‘ज्ञानवापी फाइल्स’ का निर्माण कर रहे हैं। यह फिल्म 27 जून 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।

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गौरतलब है कि उदयपुर निवासी दर्जी कन्हैयालाल की 2022 में नृशंस हत्या कर दी गई थी, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। उनकी शहादत और साहसिक जीवन को बड़े पर्दे पर लाने का बीड़ा निर्देशक अमित जानी ने उठाया है। ‘ज्ञानवापी फाइल्स’ फिल्म न केवल कन्हैयालाल की कहानी को दर्शाएगी, बल्कि वर्तमान समय के सामाजिक और धार्मिक मुद्दों को भी केंद्र में लाकर जागरूकता फैलाने का प्रयास करेगी।

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डासना देवी मंदिर पहुंचने पर कन्हैयालाल की धर्मपत्नी और बेटे की यति नरसिंहानंद से मुलाकात भावुक रही। यति ने परिवार को सांत्वना दी और कन्हैयालाल के बलिदान को हिंदू समाज की जागरूकता का प्रतीक बताया। इस दौरान मंदिर परिसर में श्रद्धा, पीड़ा और प्रेरणा का दृश्य देखा गया।

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यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा कि कन्हैयालाल का बलिदान किसी एक व्यक्ति की नहीं, पूरे हिंदू समाज की चेतना का प्रतीक है। ‘ज्ञानवापी फाइल्स’ जैसी फिल्में आवश्यक हैं, जो लोगों को सच्चाई से अवगत कराएं और बच्चों में साहस व सत्य के लिए खड़े होने की भावना भरें।” उन्होंने अमित जानी के प्रयास की सराहना की और समाज से इस फिल्म को देखने की अपील की।

 

फिल्म कन्हैयालाल के व्यक्तिगत संघर्ष, पारिवारिक जीवन, और उनकी हत्या की परिस्थितियों को गहराई से दर्शाएगी। यह फिल्म ज्ञानवापी विवाद जैसे समकालीन सामाजिक विषयों पर भी रोशनी डालेगी। निर्देशक अमित जानी ने इसे गहन शोध और संवेदनशीलता के साथ तैयार किया है।

 

डासना देवी मंदिर, जिसे शिव शक्ति धाम भी कहा जाता है, की मान्यता महाभारत काल से जुड़ी है। माना जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां शरण ली थी। मंदिर में मां काली की दुर्लभ प्रतिमा और प्राचीन शिवलिंग स्थापित हैं। यति नरसिंहानंद के नेतृत्व में यह मंदिर न केवल धार्मिक गतिविधियों का, बल्कि सांस्कृतिक और वैचारिक आंदोलन का भी केंद्र बन चुका है।

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