नयी दिल्ली। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए गुरुवार को कहा कि पहलगाम हमले को लेकर उठाए गये कदमों तथा सेना की कार्रवाई के बाद सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई लेकिन इसमें मोदी आज भी शामिल नहीं हुए, जो अत्यंत निराशाजनक स्थिति है।
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सर्वदलीय बैठक के बाद खरगे ने कहा कि पहलगाम हमले को लेकर सरकार ने आज दूसरी बैठक बुलाई लेकिन श्री मोदी न पहली बैठक में आये और ना ही आज शामिल हुए। अच्छा होता कि मोदी आते क्योंकि सभी चाहते थे कि इस सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री जी भी आएं और संक्षिप्त में अपनी बात रखें कि किस तरह भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक्शन लिया और देश के जवानों ने हिम्मत दिखाई। बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की भी मांग की है।
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खरगे ने कहा, “हम चाहते थे कि मोदी बैठक में शामिल हों और आतंकवादियों के खिलाफ की कार्रवाई पर अपनी बात रखेंगे लेकिन वह नहीं आये।पिछली बैठक में भी नहीं आये, यह बहुत दुखद स्थिति है। सब मिलकर काम कर रहे हैं और सरकार जो भी कदम उठा रही है उसका एकस्वर में समर्थन कर रहे हैं। पूरा विपक्ष सरकार के साथ खड़ा है।इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस वक्त ऐसे प्रश्न न पूछे जाएं जो डिफेंस सीक्रेट से जुड़े हैं, ऐसे वक्त में हम उन्हें सार्वजनिक करना नहीं चाहते। हम सभी पार्टियों ने भी देशहित में इसे गंभीरता से लेकर इस विषय में कोई प्रश्न नहीं पूछा। सभी ने कहा कि नाजुक घड़ी है तो प्रश्न नहीं पूछेंगे। फिर हमने न कोई सवाल किया और ना ही इसको लेकर सरकार पर दबाव डाला।”
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उन्होंने कहा,“बैठक में हम सभी एक मुद्दा उठाया कि पुंछ क्षेत्र की सीमा पर रहने वाले लोगों की पुख्ता सुरक्षा होनी चाहिए। सरकार वहां रहने वाले लोगों की सुरक्षा की व्यवस्था करे। वहां नागरिक प्रशासन और लोगों के बीच बेहतर समन्वय होना चाहिए। यह संकट की घड़ी है और इसमें देशहित में जो भी कदम उठाए जाएंगे उसके लिए हम सरकार का समर्थन करते हैं। बैठक में बताया गया कि सरकार कोई मिलिट्री एक्शन नहीं लिया है। सिर्फ उन्हीं जगहों पर हमला किया है, जहां टेरेरिस्ट कैंप हैं और आतंकियों को पनाह दी जाती थी। सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी बातें रखीं और कहा कि हम सैन्य बलों के साथ हैं।”
खरगे ने कहा, “बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की और कहा कि इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए। इससे एकजुता का संदेश जाएगा और लोगों का भी भरोसा बढ़ेगा। सरकार के कदम तथा सैन्यबलों की कार्रवाई का विपक्ष पूरी ताकत के साथ समर्थन करता है।”