जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं का उग्र विरोध, एडीएम न्यायिक ने दिए जांच के आदेश
शामली: जिले के सुन्ना गांव से संबंधित चकबंदी की धारा 48 की फाइल में से महत्वपूर्ण दस्तावेजों के गायब होने के मामले ने तहलका मचा दिया है। यह मामला उस समय सामने आया जब फाइल चकबंदी कोर्ट के फाइनल ऑर्डर में थी, लेकिन उसी दौरान भ्रष्टाचार के चलते अहम कागजात अचानक लापता हो गए।
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गुरुवार को इस घटना के विरोध में जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने डीडीसी चकबंदी कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। अधिवक्ताओं का आरोप है कि यह कोई साधारण गलती नहीं बल्कि विपक्षी पक्षों से मिलीभगत कर योजनाबद्ध तरीके से दस्तावेज हटाए गए हैं ताकि न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सके।
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जांच के दौरान यह दस्तावेज लेखपाल राहुल धामा के पास से बरामद हुए, जिससे उनकी भूमिका संदिग्ध साबित हुई। इसके साथ ही पेशकार दिव्यांग की भी संलिप्तता सामने आई। अधिवक्ताओं ने स्पष्ट किया कि वे इस प्रकार के भ्रष्टाचार को किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे।
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धरना स्थल पर पहुंचे एडीएम (न्यायिक) परमानंद झा ने अधिवक्ताओं से बातचीत की और पूरे मामले को गंभीरता से लिया। प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाए जाने पर लेखपाल को तत्काल निलंबित कर दिया गया तथा पेशकार से स्पष्टीकरण मांगा गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति के अंतर्गत सख्त कार्रवाई की जा रही है।
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इस मामले की विस्तृत जांच अब सीओ चकबंदी को सौंप दी गई है। प्रशासन की इस तत्परता से संतुष्ट होकर अधिवक्ताओं ने अपना धरना समाप्त किया, लेकिन उन्होंने यह चेतावनी दी कि यदि भ्रष्टाचार पर नियंत्रण नहीं हुआ तो वे फिर से आंदोलन करेंगे।
इस अवसर पर बार एसोसिएशन शामली के अध्यक्ष रामपाल सिंह, महासचिव जसपाल राणा, रूपेश शर्मा, पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र सिंह, प्रदीप पंवार, ओमपाल सिंह, भोपाल सिंह आदि अधिवक्ता उपस्थित रहे।