Sunday, October 6, 2024

उप्र में होमगार्ड सिविल पोस्ट धारक हैं कि नहीं, हाईकोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में स्वयं सेवा के रूप में मानदेय पर काम कर रहे होमगार्डों को सिविल पोस्ट धारक माना जाए अथवा नहीं इस मुद्दे पर हाईकोर्ट ने कई दिनों की बहस के बाद बुधवार को निर्णय सुरक्षित कर लिया।

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से एकल न्यायाधीश के आदेश को दो जजों की खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील में चुनौती दी गई है। यह आदेश जस्टिस सुनीता अग्रवाल एवं जस्टिस विकास बुधवार की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दाखिल विशेष अपील पर पारित किया।

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प्रदेश सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय का कहना था कि उत्तर प्रदेश में होमगार्ड की सेवा वालंटियर सेवा के रूप में है। इनकी सेवा संविदा पर एक निश्चित अवधि के लिए ली जाती है। कहा गया कि होमगार्ड के रूप में कोई भी अपने को सेवा देने के लिए ऐनरोल करा सकता है। ऐनरोल लोगों में से ही ड्यूटी के लिए बुलाया जाता है। सरकार की तरफ से कहा गया कि इनकी सेवाएं सरकारी सेवा नहीं है, इस कारण इन्हें सिविल पोस्ट होल्डर नहीं कहा जा सकता।

याची धीर सिंह की तरफ से अधिवक्ता का कहना था कि होमगार्ड सिविल पद धारक हैं। उनका कहना था कि एकल जज ने भी इन्हें सिविल पद धारक माना है और एकल जज के आदेश में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।

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