कुछ भी मिल जाता है तो हम प्रसन्न और छिन जाता है तो दुखी हो जाते हैं। हमारी इस प्रसन्नता और दुख का कोई अर्थ नहीं। आंखे खुलते ही, निद्रा टूटते ही हमें अपने आप पर हंसी आती है, क्योंकि हम सत्य से परिचित होते हैं, बोध को उपलब्ध होते हैं कि जिसे हम अपना मान रहे थे वह तो भ्रम था।
स्वप्र में आप कुछ भी देख सकते हैं। सपने में आप सम्राट भी बन सकते हैं, आप दरिद्र भी हो सकते हैं। सम्राट होना आपको सम्मानित लगेगा और दरिद्र होना कष्टकर। आपके सिंहासन को कोई छीनेगा तो आप लड़ेंगे, क्रोध करेंगे, दुखी होंगे। आपको कोई जयमाला डालेगा तो आप आनन्दित होंगे। आपको बड़ा सुख मिलेगा। पर आपका यह सुख और दुख उतने समय के लिए है, जितने समय आप निद्रा में हैं। निद्रा टूट जायेगी तो आपको बोध हो जायेगा कि आप न तो सम्राट हैं और न ही दरिद्र, जो है सौ हैं।
जब आपको इस संसार की नश्वरता का बोध हो जायेगा, अपनी आत्मा का साक्षात हो जायेगा तो आपका प्रमाद समाप्त हो जायेगा। आप पायेंगे कि आप परम आनन्द को प्राप्त हैं। तब न हर्ष होगा न शोक। आपको आभास रहेगा कि आप विशुद्ध आत्मा हैं।