सहारनपुर। नगदी फसल गन्ना उत्पादक किसानों के लिए उत्तर प्रदेश देश में सबसे मुफीद रहा। कम चीनी मिलें होने के बावजूद चीनी उत्पादन में इस बार उत्तर प्रदेश ने महाराष्ट्र को भी पीछे छोड़ दिया। उत्तर प्रदेश में पेराई सत्र 2022-23 समाप्त हो चुका है। अक्टूबर 2022 में चीनी मिलों ने इस सत्र के लिए पेराई शुरू की थी और 31 मई 2023 तक पेराई सत्र को पूरा होना था लेकिन कुछ चीनी मिलों में पेराई जून के पहले हफ्ते तक चली।
बिजनौर की चीनी मिलों में सबसे देर तक पेराई हुई। सहारनपुर के गन्ना उपायुक्त ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि सहारनपुर मंडल में 18 चीनी मिलें हैं। जिन्होंने इस बार 19 करोड़ 10 हजार 260 क्विंटल गन्ना पेराई की और 191 लाख 10 हजार 580 क्विंटल चीनी का उत्पादन किया। इस बार पिछले सत्र की तुलना में एथोनोल का उत्पादन ज्यादा हुआ है। इस बार 30 लाख लीटर एथोनोल का उत्पादन हुआ।
गन्ना उपायुक्त ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि इस बार चीनी की रिकवरी 10.08 फीसद रही। गन्ना भुगतान भी इस बार पहले से बेहतर रहा। सहारनपुर मंडल की चीनी मिलें 6585 करोड़ 21 लाख का भुगतान कर चुकी है। पिछली बार 6349.21 करोड़ का भुगतान हुआ था। इस बार 236 करोड़ गन्ना मूल्य भुगतान पिछले साल की तुलना में ज्यादा हुआ है। सहारनपुर के उप गन्ना आयुक्त ओमप्रकाश सिंह को वर्ष 2018-19 के पेराई सत्र में बिजनौर जनपद में सर्वश्रेष्ठ रिकवरी 11.80 फीसद प्राप्त करने के लिए बतौर जिला गन्नाधिकारी उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर की ओर से पहले प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उप गन्ना आयुक्त ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि पिछले पेराई सत्र में 193 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ था। अबकी 2 लाख टन क्विंटल चीनी का कम उत्पादन जरूर हुआ है लेकिन एथोनोल ज्यादा बना है। उधर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव संजय आर भूषरेड्डी के मुताबिक उत्तर प्रदेश की 118 चीनी मिलों ने 109 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन किया है। जबकि हमेशा पहले स्थान पर रहने वाला महाराष्ट्र चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश से काफी पीछे रह गया है। वहां की 157 चीनी मिलें 105.30 लाख मीट्रिक टन चीनी उत्पादन कर पाई। यानि 37 चीनी मिलें उत्तर प्रदेश से महाराष्ट्र में ज्यादा हैं फिर भी उत्तर प्रदेश ने इस बार 4 लाख मीट्रिक टन ज्यादा उत्पादन किया है। उत्तर प्रदेश में 284 खांडसारी इकाइयों ने 3.75 लाख मीट्रिक टन चीनी उत्पादन किया है। उत्तर प्रदेश में कुल चीनी मिलें 120 है। 2 चीनी मिलों में क्षमता वृद्धि का काम चलने के कारण वे इस बार पेराई नहीं कर सकी थीं कुल मिलाकर गन्ने की खेती में उत्तर प्रदेश के किसानों का शानदार प्रदर्शन इस बार रहा है।
यही वजह है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का रूझान पापुलर के बजाए गन्ने की खेती की ओर तेजी के साथ बढ़ा है। पापुलर उत्पादक किसान सहारनपुर में प्लाईवुड के कारखाने ना होने के कारण पापुलर की खेती से हतोत्साहित हुआ है। हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहारनपुर में आरा मशीनों के ज्यादा लाइसेंस देने और नई प्लाईवुड इकाइयां स्थापित करने के आदेश उद्योग विभाग को दिए हैं। लेकिन अभी भी नगदी फसल गन्ना दूसरी फसलों पर 21 साबित हो रहा है।