Thursday, December 26, 2024

नोएडा में तबादले के बाद भी खाली नही किया सरकारी बंगला,प्राधिकरण ने लगाया नोटिस, 7 दिन का दिया टाइम

नोएडा। नोएडा में जो एक बार आता है, वह कहीं और जाने का नाम नहीं लेता और अगर उसका ट्रांसफर भी हो जाता है तो वह सरकारी बंगले पर कुंडली मारकर बैठा रहता है।

नोएडा प्राधिकरण की पूर्व सीईओ रितु माहेश्वरी के नोएडा अथॉरिटी पद से ट्रांसफर होने के बाद उन्होंने घर खाली नहीं किया, तो विवाद बढ़ने लगा था। अब इसी क्रम में नोएडा अथॉरिटी ने 4 आईएएस और 2 आईपीएस के घर के बाहर नोटिस लगाया है कि 7 दिन के अंदर घर खाली कर दें।

बताया गया है कि इन अफसरों का काफी पहले ही नोएडा से दूसरे जिलों में ट्रांसफर हो चुका है, लेकिन अभी तक इन्होंने घर खाली नहीं किया है। अफसरों को बंगला खाली करने के लिए सात दिन का समय दिया है, जिसकी मियाद इसी शुक्रवार को खत्म हो रही है। अब ऐसे में अधिकारी भवन न खाली करने के लिए सिफारिश लगा रहे हैं।

आईएएस आराधना शुक्ला, जो नोएडा प्राधिकरण में अगस्त 2015 से जून 2018 तक तैनात रहीं। इस दौरान प्राधिकरण ने उनके लिए भवन आवंटित किया था। लेकिन तबादला होने के बाद भी उन्‍होंने भवन नहीं छोड़ा। अब हालात यह है कि रिटायर होने के बावजूद वह उस भवन में काबिज हैं। दूसरी आईएएस मोनिका गर्ग हैं। ये अगस्त 2016 से मार्च 2017 तक नोएडा प्राधिकरण में रहीं। अभी प्रदेश में कहां तैनात है, इसकी जानकारी प्राधिकरण अधिकारियों को भी नहीं है। इन्होंने भी अभी तक भवन खाली नहीं किया है।

एक आईएएस राजेश प्रकाश भी हैं। ये अक्टूबर 2014 में नोएडा प्राधिकरण आए और जुलाई 2016 में इनका ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद अप्रैल 2017 एडिशनल कमिश्नर एनसीआर गाजियाबाद में तैनात रहे। अब तक इन्होंने नोएडा का भवन नहीं छोड़ा है। इसके अलावा आईएएस अनुराग श्रीवास्तव दिसंबर 2017 से जनवरी 2020 तक नोएडा में रहे। इन्होंने भी अभी तक सरकारी बंगला खाली नहीं किया है।

इस सूची में आईएएस ही नहीं, बल्कि आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं। आईपीएस अभिषेक वर्मा नोएडा में तैनात रहे और 15 जनवरी 2023 को उनका तबादला हो गया। लेकिन, अभी तक इन्होंने सरकारी आवास खाली नहीं किया है।

वहीं, आईपीएस लव कुमार का  ट्रांसफर जनवरी 2023 में दिल्ली में हुआ। हालांकि, उन्होंने अर्जी दी है कि वे जल्द ही भवन खाली कर देंगे। ट्रांसफर होने के बाद नोएडा नहीं छोड़ने की एक बड़ी वजह दिल्ली के नजदीक होना है। साथ ही यहां का रहन सहन भी कई बार बड़े अधिकारियों को नोएडा नहीं छोड़ने का कारण बन रहा है।

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