नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ग्लोबल साउथ (कम विकसित) देशों पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि जी20 का मुख्य उद्देश्य आर्थिक वृद्धि और विकास है और अगर कम विकसित देशों की चिंताएं दूर नहीं होंगी, तो यह आगे नहीं बढ़ सकता है।
जयशंकर ने रविवार को यहां ‘भूमिका’ विषय पर बी20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “जी20 का मुख्य उद्देश्य आर्थिक वृद्धि और विकास को बढ़ावा देना है और अगर उन क्षेत्रों में ग्लोबल साउथ (कम विकसित) की महत्वपूर्ण चिंताओं को दूर नहीं किया गया तो यह आगे नहीं बढ़ सकता है।”
उन्होंने आगे कहा, “विभिन्न कारणों से, ग्लोबल साउथ (कम विकसित) देश बड़े पैमाने पर उत्पादक के बजाय उपभोक्ता बनकर रह गए। उनका योगदान अक्सर अन्यत्र विनिर्माण के लिए संसाधन उपलब्ध कराना है। उन्हें आर्थिक परिवर्तन का पूरा लाभ नहीं मिला।”
उन्होंने कहा, “ग्लोबल साउथ पर वर्तमान फोकस इस वैश्विक दृढ़ विश्वास से उत्पन्न होता है कि ये ऐसे देश हैं, जो वास्तव में विशेष देखभाल के पात्र हैं। ये असाधारण तनाव वाले समाज भी हैं, जिन पर अगर ध्यान नहीं दिया गया तो यह विश्व अर्थव्यवस्था पर गंभीर दबाव बन जाएगा।”
भारत की जी20 की अध्यक्षता का जिक्र करते हुए, मंत्री ने कहा, “जब भारत ने पिछले साल दिसंबर में जी20 की अध्यक्षता संभाली थी, तो हम पूरी तरह से सचेत थे कि जब हम मिलेंगे, तो अधिकांश ग्लोबल साउथ (कम विकसित) देश मेज पर नहीं होंगे। ”
मंत्री ने कहा, “उन्हें निष्पक्ष सुनवाई प्रदान किए बिना उनकी चिंताओं पर चर्चा करना बेहद अनुचित प्रतीत होता है। इसलिए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल जनवरी में ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट’ बुलाने का फैसला किया। हमने 125 देशों से सीधे उनकी चुनौतियों और प्राथमिकताओं के बारे में सुना। उन्होंने कहा, ”उनकी ओर से इसे जी20 एजेंडे का केंद्र बनाया गया है।”
जयशंकर ने आगे कहा, “यह एक निर्विवाद वास्तविकता है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली पर ग्लोबल नॉर्थ (विकसित) देशों का वर्चस्व बना हुआ है। यह स्वाभाविक रूप से जी20 की संरचना में भी परिलक्षित होता है।”